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एसडीएम ने तीन अल्ट्रासाउंड केंद्रों को कराया बंद

औचक जांच में मिली अनियमितता, बिना डॉक्टर चल रहे थे केंद्र, सील कराई गई मशीनें

औचक जांच में मिली अनियमितता, बिना डॉक्टर चल रहे थे केंद्र, सील कराई गई मशीनें प्रतिनिधि, गढ़वा. गढ़वा शहर के तीन अल्ट्रासाउंड केंद्रों को सदर एसडीएम संजय कुमार ने एहतियातन सील कर बंद करा दिया है. यह कार्रवाई उपायुक्त के निर्देश पर अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच के क्रम में की गई. एसडीएम ने बताया कि औचक निरीक्षण के दौरान प्रथम दृष्टया सभी तीनों केंद्रों में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं. कई जगह पंजीकृत चिकित्सक की उपस्थिति नहीं थी, फिर भी अल्ट्रासाउंड कार्य हो रहे थे. ऐसे में इन केंद्रों को जांच पूरी होने तक बंद रखने का आदेश दिया गया है. झारखंड अल्ट्रासाउंड सेंटर में डॉक्टर नदारद टाउन हॉल मैदान के पास स्थित झारखंड अल्ट्रासाउंड सेंटर में डॉ. अभिषेक कुमार का नाम दर्ज है, लेकिन जांच में पता चला कि वे पिछले छह से सात महीनों से केंद्र नहीं आए हैं. बावजूद इसके केंद्र पर अल्ट्रासाउंड बदस्तूर जारी था. मौके पर 12वीं पास युवक और युवती मिले. दो तरह के रजिस्टर मिले, जिनमें हाल की तिथियों तक एंट्री थी. मामला संदिग्ध लगने पर केंद्र को सील कर चाबी रविकांत दुबे को सुपुर्द की गई. डॉक्टर का नाम, लेकिन दस्तावेज नदारद कचहरी रोड स्थित चंद्रिका हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में डॉक्टर कादिर परवेज अल्ट्रासाउंड करनेवाले बताए गए. लेकिन डॉक्टर ने स्वयं बताया कि उन्होंने मात्र 8–10 मरीजों का अल्ट्रासाउंड किया है, और उनके नाम की जानकारी अस्पताल नहीं दे सका. डॉ. परवेज ने पहले ही सिविल सर्जन को संबद्धता समाप्त करने के लिए आवेदन दे रखा है. अस्पष्ट स्थिति को देखते हुए यह केंद्र भी बंद कर दिया गया. चाबी प्रबंधक अयूब अंसारी को सौंपी गई. एमजीएम अस्पताल में टेक्नीशियन चला रहा था अल्ट्रासाउंड नवादा मोड़ स्थित एमजीएम अस्पताल के अल्ट्रासाउंड केंद्र में पंजीकृत डॉक्टर की जगह टेक्नीशियन अल्ट्रासाउंड कर रहा था. डॉक्टर परवेज ने खुद बताया कि वे 15 दिन में एक बार ही आते हैं, जबकि रजिस्टर में लगातार अल्ट्रासाउंड दर्ज मिले. अस्पताल संचालक ने स्वीकार किया कि यह कार्य टेक्नीशियन द्वारा किया जा रहा है. केंद्र को तत्काल बंद करवा दिया गया. एसडीएम की चेतावनी एसडीएम संजय कुमार ने कहा कि बिना योग्य चिकित्सक के अल्ट्रासाउंड सेवा देना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है. ऐसे केंद्र या तो स्वयं बंद हो जाएं या योग्य डॉक्टर की नियुक्ति करें, अन्यथा सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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