प्रतिनिधि, गढ़वा जिले के मेराल प्रखंड के रेजो गांव में वर्षों से चला आ रहा एक पारिवारिक भूमि विवाद आखिरकार सौहार्दपूर्ण तरीके से समाप्त हो गया. यह विवाद गांव के दो परिजनों चाचा बंशीधर मिश्रा एवं भतीजे सुशील रंजन मिश्रा के बीच करीब 8 से 10 वर्षों से चला आ रहा था. इस दौरान न केवल कानूनी लड़ाई जारी रही, बल्कि आपसी संबंधों में भी गहरी कटुता आ गयी थी. मामला गढ़वा एसडीएम के न्यायालय में लंबित था. एसडीएम संजय कुमार ने जब इस मामले की दो-तीन बार सुनवाई की तो उन्होंने महसूस किया कि यह विवाद असल में इगो की लड़ाई है, जिसे भावनात्मक समझदारी से सुलझाया जा सकता है. लगभग दो माह पूर्व एसडीएम श्री कुमार ने अचानक रेजो गांव का दौरा किया और दोनों परिवारों से सीधे उनके घर जाकर मुलाकात की. एसडीएम को अपने घर देखकर दोनों पक्ष आश्चर्यचकित और भावुक हो उठे. उन्होंने बड़ी विनम्रता और संवेदनशीलता से दोनों पक्षों को समझाया. हालांकि पहली मुलाकात में विवाद का पूर्ण समाधान नहीं हो पाया, लेकिन दिलों में जमी बर्फ कुछ हद तक पिघली.इसके बाद भी न्यायालय में नियमित सुनवाई चलती रही. दस्तावेजों से इतर एसडीएम ने दोनों पक्षों को भावनात्मक दृष्टिकोण से समझाने का प्रयास जारी रखा. उनकी इस मानवीय पहल का असर यह हुआ कि सुनवाई में दोनों पक्षों ने खुले न्यायालय में आपसी सहमति से विवाद समाप्त करने का फैसला किया. समझौते की शर्तों पर दोनों पक्ष न केवल संतुष्ट दिखे, बल्कि निर्णय के बाद भतीजे सुशील रंजन मिश्रा ने न्यायालय में ही चाचा बंशीधर मिश्रा के पैर छूकर आशीर्वाद लिया. चाचा ने भी पूरे स्नेह से उन्हें गले लगाया और आशीर्वाद दिया. कोर्ट परिसर में इस भावनात्मक क्षण को कई लोगों ने देखा.दोनों पक्ष मुस्कुराते हुए एक साथ कोर्ट से बाहर निकले, और इस तरह वर्षों पुरानी कड़वाहट खत्म हुई. गढ़वा प्रशासन की यह पहल न केवल एक मुकदमे का समाधान है, बल्कि सामाजिक रिश्तों में फिर से मिठास घोलने की मिसाल भी है.एसडीएम संजय कुमार की मानवीय पहल ने साबित किया कि कुछ विवादौ सिर्फ संवेदना, संवाद और समझ से सुलझाए जा सकते हैं कानून से पहले मन जीतना जरूरी है.
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