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रोशनी से जगमगायी कब्रगाह, गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना

रोशनी से जगमगायी कब्रगाह, गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना

भंडरिया/रमकंडा.

गढ़वा जिले के आदिवासी बहुल भंडरिया, बड़गड व रमकंडा क्षेत्र के कब्रिस्तान में हर्षोल्लास के साथ ईस्टर महापर्व मनाया गया. पर्व के मौके पर ईसाई धर्मावलंबियों ने रविवार की अहले सुबह तीन बजे कब्रिस्तान पहुंचकर अपने परिजनों की कब्र पर कैंडिल, अगरबत्ती व फूल चढ़ाकर पूर्वजों को याद किया. इस दौरान भंडरिया प्रखंड मुख्यालय स्थित कब्रिस्तान में कब्रों को रौशन करने के बाद सीएनआइ चर्च के पुरोहित अल्केसीयूस गुड़िया की अगुवाई में प्रार्थना सभा और भजन किया गया. इस दौरान लोगों को बताया गया कि मृत्यु के तीसरे दिन प्रभु ईसा मसीह पुनर्जीवित हो उठे थे. लिहाजा आज के दिन को ईस्टर के रूप में मनाया जाता है. वही लोगों का मानना है कि दो हजार वर्ष पूर्व रोमी राजा के द्वारा मृत्युदंड दिये जाने के बाद आज ही के दिन प्रभू यीशु दोबारा जीवित हुए थे.

बुराई पर अच्छाई की जीत का अनुपम उदाहरण : मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए पुरोहित अल्केसीयूस गुड़िया ने कहा कि ईस्टर पर्व संपूर्ण समाज के समक्ष बुराई पर अच्छाई की जीत का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है. उन्होंने कहा की ईसा मसीह ने मानवता और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान देकर सभी के समक्ष सर्वोच्च त्याग का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है. यीशु दया, क्षमा और करुणा की प्रतिमूर्ति थे. उनका जीवन प्रेम एवं स्नेह का पर्याय था. उनके हृदय में सभी के लिए असीम प्यार था. उन्होंने नफरत एवं घृणा पर प्रेम, शांति एवं सद्भाव से विजय पाने का संदेश दिया.

पुरोहित के नेतृत्व में प्रार्थना सभा की : इधर क्षेत्र के अन्य जगहों पर ईसाई समुदाय के लोगों ने कब्रिस्तान से यीशु के भजन-गीत गाते हुए चर्च में पहुंचकर पुरोहित के नेतृत्व में प्रार्थना सभा भी की. इसके अलावे बरवा सर्कल के रोमन कैथोलिक मिशन चर्च में ईस्टर पर्व पास्का जागरण मिस्सा फादर नॉरबर्ट तिर्की द्वारा किया गया. समारोह की शुरुआत पुनर्जीवित यीशु मसीह का प्रतीक पास्का मोमबत्ती जला कर किया गया. गायन मंडली की भूमिका बरवा युवा युवती संघ ने निभायी.

उपस्थित लोगे : मौके पर प्रचारक जेम्स कुजूर, तीमुथियुस कुजूर, लॉरेंस कुजुर, अमल प्रभात तिर्की, मेरुलीन बाखला, सुभावती कुजूर, बीना कांति मिंज, प्रेम कांति समद खिष्ट ऐरेन एक्का, प्रेम नीलम समद, अनुपम आशीष करकेट्टा, नवल नीलकांत किशोर, निलु कुजूर, प्रभु दयाल, किरुस समद, सुशीला केरकेट्टा, शीतल पवन तिर्की, मुखिया ललिता लकड़ा, नोवस कच्छप, भालेरियन तिर्की, बसंती पन्ना समेत बरवा, बैरिया, नयाटोली मोहनबगान, दादर दुर्जन, होमियां व गोबरदाहा के मसीही समुदाय के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

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