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लीज पर ली गयी जमीन वापसी की प्रक्रिया लंबित

लीज पर ली गयी जमीन वापसी की प्रक्रिया लंबित

भवनाथपुर.

गढ़वा जिले में सार्वजनिक क्षेत्र के अकेले उपक्रम भवनाथपुर स्थित सेल आरएमडी माइंस के चूना पत्थर खदान बंद हो चुका है. इसके बाद सेल प्रबंधन द्वारा राज्य सरकार से लीज पर ली गयी जमीन के वापसी की प्रक्रिया 11 वर्ष बीत जाने के बाद भी लंबित है. ऐसे में कोई भी उद्योगपति चाह कर भी भवनाथपुर में उधोग स्थापित नहीं कर सकता है. राज्य सरकार और सेल प्रबंधन के बीच जमीन हस्तांतरण का मामला फंसा हुआ है. दरअसल भवनाथपुर सेल प्रबंधन लीज पर ली गयी 1178 हेक्टेयर जमीन राज्य सरकार को हस्तांतरित करने के लिए गत सात-आठ वर्षों से प्रयास कर रहा है. उल्लेखनीय है कि घाघरा चूना पत्थर खदान के साथ साथ गुड़गांवा, सरैया खदान 23 अप्रैल 2013 को बंद कर दिया गया.

कुल 1178 हेक्टेयर जमीन का होना है हस्तांतरण : खदान बंद होने के बाद सेल प्रबंधन ने राज्य सरकार को घाघरा की 675 हेक्टेयर, गुड़गांवा की 228 हेक्टेयर तथा सरैया की 275 हेक्टेयर यानी कुल 1178 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरु की. इसके लिए वर्ष 2020 में उक्त तीनों जगहों की भूमि की घेराबंदी के लिए कार्य प्रारंभ किया, लेकिन सरैया में विस्थापित के आंदोलन के कारण घेराबंदी नहीं हो पायी है. बताया गया कि कुछ कंपनियों ने बंद पड़े घाघरा चूना पत्थर खदान को लेने की इच्छा जतायी है. लेकिन जब तक जमीन राज्य सरकार को हस्तांतरित नहीं हो जाती है, तब-तक भवनाथपुर में उद्योग-धंधे नहीं लग सकते. सूत्रों के अनुसार जब-तक क्रशिंग प्लांट और प्रशासनिक भवन लीज की जमीन से नहीं हटाया जायेगा, तब तक हस्तांतरण में अड़चन बनी रहेगी. हालांकि सेल प्रबंधन ने क्रशिंग प्लांट की नीलामी कर उसे हटवाने की प्रक्रिया तेज कर दी है. वहीं प्रशासनिक भवन को 30 जून तक हटाना या अन्यत्र हस्तांतरण कर देना होगा.

सभी प्रक्रिया पूरी, अड़चन का पता नहीं : खान प्रबंधकसेल के खान प्रबंधक भगवान पाणिग्रही ने कहा कि भवनाथपुर सेल प्रबंधन ने लीज पर ली गयी करीब 1178 हेक्टेयर भूमि को राज्य सरकार को हस्तांतरित करने की सभी प्रक्रिया पूरी कर ली है. आगे क्या अड़चन है पता नहीं. भवनाथपर सेल प्रबंधन चाहता है कि जल्द से जमीन हस्तांतरण हो ताकि यहां कोई उद्योग लग सके.

प्रक्रिया अभी पूरी नहीं : जिला खनन पदाधिकारीजबकि इस मामले में सेल की जमीन हस्तांतरण के संबंध में जिला खनन पदाधिकारी राजेंद्र उरांव ने कहा कि हस्तांतरण में कई तरह की प्रक्रिया होती है. प्रक्रिया जारी है उम्मीद करते हैं तीन माह के अंदर हस्तांतरण होने की संभावना है.

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