पीयूष तिवारी, गढ़वा
बरसात का मौसम शुरू होते ही गढ़वा जिले में जहरीले सांपों के काटने के मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं. लेकिन गढ़वा जिले में स्नेक रेस्क्यू करने के लिए एक भी विशेषज्ञ नहीं है. वन विभाग के पास भी गढ़वा जिले में पाये जानेवाले तेंदूआ, लकड़बग्घा, नीलगाय, वनसुअर आदि अन्य जंगली जानवरों की तरह सांपों के संरक्षण के लिए विशेष योजना नहीं है. पिछले साल वित्तीय वर्ष 2024-25 में उत्तरी व दक्षिणी वन विभाग को स्नेक रेस्क्यू टीम गठित करने व दैनिक मजदूरी पर बाहर से एक विशेषज्ञ को रखने से संबंधित आवंटन प्राप्त हुआ था. लेकिन वर्तमान वित्तीय साल 2025-26 में इससे संबंधित राशि प्राप्त नहीं होने की वजह से स्नेक रेस्क्यू के विशेषज्ञ को रखा नहीं जा सका है. यद्यपि गढ़वा जिले के कुछ वनरक्षियों को इसका प्रशिक्षण दिया गया है. लेकिन विभाग से जुड़े अन्य कई प्रकार की जिम्मेवारियां होने की वजह से हमेशा स्नेक रेस्क्यू के लिए समय निकालना उनके लिए संभव नहीं हो पाता है. यद्पि कभी-कभार ग्रामीणों की सूचना पर से सापों को बचाने के लिए जाते रहते हैं. इसके अलावा लोगों के समक्ष सांपों के संरक्षण से संबंधित जागरूकता का भी अभाव है, इस वजह से लोग सांप निकलने पर वन विभाग को सूचित कर उसे संरक्षित करने के बजाय मार डालना ही उचित समझते हैं.गढ़वा जिले के 40 वनरक्षियों को मिला है प्रशिक्षणगढ़वा जिले के दोनों वन डिवीजन उत्तरी व दक्षिणी को मिलाकर करीब 80 वनरक्षी पदस्थापित हैं. इसमें से आधे यानि करीब 40 वनरक्षियों को सांप पकड़ने का प्रशिक्षण मिला हुआ है. रांची के महिलांग में वनरक्षियों को बारी-बारी से अन्य जंगली जानवरों का रेस्क्यू करने के साथ सांपों को पकड़ने का प्रशिक्षण लेने के लिए विभाग की ओर से वहां भेजा जाता है. लेकिन सभी वनरक्षी अभी तक यह प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर सके हैं. प्रशिक्षण के उपरांत वनरक्षियों को सांप पकड़ने वाली छड़ (स्नेक हुक), दस्ताने, कंटेनर आदि भी उपलब्ध कराये गये हैं.
गढ़वा जिले में पाये जाते हैं कई जहरीले सांपगढ़वा जिले में कोबरा जिसे फनिक भी कहते हैं वह लगभग हर गांव में पाये जाते हैं. लेकिन जिले में सबसे अधिक करैत सांप के डंसने घटनाएं सामने आती हैं. इसके अलावा जहरीला सांप बहिरा जाड़ा जिसे रसल वाइपर भी कहा जाता है. वह लगभग सभी स्थानों पर पाये जाते हैं. गढ़वा जिले में मुख्य रूप से यही तीन जहरीले सांप पाये जाते हैं. जबकि वैसे सांप जो जहरीले नहीं हैं, उनमें अजगर, धामिन, डोंड़वा, होरहोरवा सांप भी गढ़वा जिले में बहुतायात मात्रा में हैं.सिर्फ जुलाई में 30 लोग सांप काटने के बाद पहुंचे हैं अस्पतालगढ़वा के धुरकी में बीते बुधवार व गुरुवार की रात्रि में एक ही खाट पर सोये दो बच्चों की मौत सांप के काटने से हो गयी है. इस प्रकार से गढ़वा जिले में सांप के काटने के कुल मामले सिर्फ जुलाई महीने में अब तक 30 हो गयी है. जबकि जून महीने में 65 लोग सांप काटने के बाद अस्पताल पहुंचे थे. इसके पूर्व एक अप्रैल से लेकर 31 मई तक 93 मरीज सांप काटने के बाद ईलाज के लिए गढ़वा सदर अस्पताल में भर्ती हुए थे.
सांपों को मारे नहीं वनरक्षी को सूचित करें : डीएफओइस संबंध में दक्षिणी वन प्रमंडल पदाधिकारी ऐबिन बेनी अब्राहम ने बताया कि आवंटन के अभाव में इस बार अलग से किसी व्यक्ति को स्नेक रेस्क्यू करने के लिये नहीं रखा गया है. लेकिन पिछले साल दोनो डिविजन को मिलाकर एक व्यक्ति को दैनिक मजदूरी पर रखा गया था. लेकिन सांप निकलने पर लोग उसे मारे नहीं बल्कि वनरक्षियों को सूचित करें वे उसका रेस्क्यू करके जंगलों में छोड़ देंगे. यह सांपों के संरक्षण के लिए आवश्यक है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है