प्रतिनिधि, गढ़वा स्थानीय आरपी कॉलेज में शुक्रवार को इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी दिवस व विश्व थैलेसीमिया दिवस पर संयुक्त रूप से जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें अतिथि के रूप में सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार व रेडक्रॅास सोसाइटी के पदाधिकारी शामिल हुए. कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में स्वास्थ्य जागरूकता फैलाना, थैलीसीमिया जैसी गंभीर बीमारी की जानकारी देना और रेडक्रॉस द्वारा किये जा रहे मानवसेवी कार्यों को जन-जन तक पहुंचाना था.इस अवसर पर आयोजित समारोह में जिले के कई स्वास्थ्य अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, रेडक्रॉस पदाधिकारी, शिक्षक और छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे. कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत भाषण और दीप प्रज्वलन से हुई, जिसके बाद अतिथियों ने अपने विचार रखे.कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. अशोक कुमार (सिविल सर्जन), अध्यक्ष डॉ. मुरली प्रसाद गुप्ता, सचिव डॉ. ज्वाला प्रसाद सिंह, उपाध्यक्ष विनोद कमलापुरी, उप सचिव नंद कुमार गुप्ता, स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ. पतंजलि कुमार केशरी, अब्दुल मन्नान, दामोदर राम, डॉ. इश्तियाक राजा, सांतोस, प्रद्युमन, दीपक और राहुल सहितत कई लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन दिया गया और उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों, छात्रों एवं सहयोगियों का आभार प्रकट किया गया. आयोजन को सफल बनाने में कॉलेज प्रशासन, रेडक्रॉस के कार्यकर्ताओं एवं विद्यार्थियों की अहम भूमिका रही.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार ने थैलीसीमिया के कारण, लक्षण, जांच और बचाव पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि यह एक अनुवांशिक रक्त विकार है, जिसकी समय पर जांच और रोकथाम अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने युवाओं को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि एक यूनिट रक्त किसी की ज़िंदगी बचा सकता है.
रेडक्रॉस की भूमिका को बताया अहमकार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रेडक्रॉस के चेयरमैन डॉ. मुरली प्रसाद गुप्ता ने रेडक्रॉस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान में इसके सामाजिक योगदान पर प्रकाश डाला. सचिव डॉ. ज्वाला प्रसाद सिंह ने बताया कि रेडक्रॉस हमेशा आपदा, स्वास्थ्य संकट और ज़रूरतमंदों की मदद के लिए तत्पर रहती है. इस दौरान रेडक्रॉस के उपाध्यक्ष विनोद कमलापुरी और उप सचिव नंद कुमार गुप्ता ने भी अपने विचार साझा किए. स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ. पतंजलि कुमार केशरी ने थैलेसीमिया की जांच व्यवस्था और सरकारी प्रयासों की जानकारी दी.
कार्यक्रम में मौजूद छात्र-छात्राओं को थैलेसीमिया की पहचान, जांच प्रक्रिया, बचाव उपाय और इसके सामाजिक प्रभावों की जानकारी दी गयी. साथ ही, रक्तदान से जुड़े भ्रमों को भी दूर किया गया. कई छात्रों ने भविष्य में रक्तदान करने का संकल्प लिया.
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