गढ़वा.
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत रविवार को मेराल प्रखंड के दुलदुलवा पंचायत भवन के सभागार में सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार प्रखंड एवं पंचायत स्तरीय पदाधिकारियों /कर्मियों के साथ लगभग 200 ग्रामीणों के साथ शराब मुक्त गांव बनाने की दिशा में विचार-विमर्श किया. इस दौरान न केवल अवैध शराब कारोबार से जुड़े परिवारों और देशी महुआ शराब पीने के आदी लोगों की काउंसलिंग की गयी, बल्कि गांव के ऐसे लोगों की बातें भी सुनी गयी, जो अवैध शराब पर प्रभावी रोकथाम के पक्षधर हैं. अनुमंडल पदाधिकारी के साथ एसडीपीओ नीरज कुमार, मेराल अंचल अधिकारी यशवंत नायक, जेएसएलपीएस के डीपीएम विमलेश शुक्ला व मुखिया राम प्रताप शाह के अलावा प्रखंड कल्याण पदाधिकारी, प्रखंड कार्यक्रम समन्वयक, प्रखंड उद्यम समन्वयक, पंचायत सेवक व रोजगार सेवक ने भी कई कल्याणकारी योजनाओं के बारे में ग्रामीणों के बीच जानकारी साझा की. शराब से गांव को छुटकारा दिलाने का संकल्पलगभग तीन घंटे चली विमर्श बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी तथा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ने उपस्थित ग्रामीणों से कहा कि अभी दुलदुलवा गांव का नाम अवैध शराब कारोबार के साथ जोड़ा जाता है. गढ़वा एवं आसपास के कई इलाकों में इस गांव से अवैध शराब की आपूर्ति की जाती है. इससे न केवल यहां के लोगों का भविष्य खराब हो रहा है बल्कि आसपास के इलाकों में विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न करने तथा लाखों लोगों की परेशानी का कारण बनने में भी दुलदुलवा के लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है. अभी पिछले 15-20 सालों से यह गांव अवैध शराब के लिए जाना जाता है, पर अब गांव वाले चाहते हैं कि अपने गांव के सम्मान के लिए अपने अनैतिक आर्थिक लाभ का त्याग करते हुए इस धंधे को छोड़ें और गांव को शराब के कलंक से मुक्त करने के लिए आगे आयें.आर्थिक संकट नहीं आने दिया जायेगा : उन्होंने कहा कि शराब का कारोबार छोड़ने के बाद भी किसी परिवार के समक्ष आर्थिक संकट नहीं आने दिया जायेगा. इसके लिए सरकार की तमाम कल्याणकारी योजनाएं हैं, जिनसे आच्छादित करने के लिए इस गांव पर प्राथमिकता के साथ ध्यान दिया जायेगा. अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा कि वह इस गांव के सर्वांगीण विकास और यहां के बच्चों के भविष्य को लेकर के इस गांव को आज से गोद ले रहे हैं. बशर्ते यहां के लोग शराब से तौबा कर लें. उन्होंने कहा कि प्रशासन पूरी तरह से यहां के लोगों के पुनर्वासित करने की दिशा में पहल करेगा.
इच्छा शक्ति की जरूरतएसडीओ संजय कुमार ने कहा कि गांव में अब तक जो अवैध शराब का धड़ल्ले से कारोबार होता आया है, उसमें ग्रामीणों के अलावा बाहरी व्यवसायियों की भी सहभागिता रही होगी. लेकिन नुकसान सिर्फ गांव वालों का हो रहा है. वहीं इससे न केवल गांव का माहौल खराब हो रहा है, बल्कि गांव के लोगों के स्वास्थ्य और शिक्षा भी प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में बाहरी लोगों के हित को नजर अंदाज कर इस गांव के लोगों को ही इच्छा शक्ति के साथ संकल्प लेना होगा कि वे आगे से अब यह अनैतिक व्यवसाय नहीं करेंगे.लोगों ने हाथ उठाकर लिया संकल्पअनुमंडल पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारियों की अपील पर कई ऐसे परिवारों ने भी हाथ उठाकर अवैध शराब नहीं बनाने का संकल्प लिया, जो अब तक कई वर्षों से शराब का कारोबार कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जब एसडीएम जैसे वरीय प्रशासनिक अधिकारी उनके गांव की इतना चिंता कर रहे हैं, तो वे भी यह व्यवसाय छोड़ने का संकल्प लेते हैं.
बेल के जंगल की रक्षा करें : एसडीएमएसडीओ ने अनुरोध किया कि उनके गांव के चारों ओर बेल के पेड़ों का जो जंगल है ,वह अपने आप में अनूठा है. लेकिन छोटे लालच के चक्कर में लोग इन बेलों को काटकर शराब की भरट्टियों में जला दे रहे हैं. इससे बेल का जंगल खत्म होता जा रहा है. उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि वे इस जंगल के संरक्षक बनें.महुआ शराब के कारण ही आते हैं हाथीग्रामीणों ने बैठक में पहुंचे अधिकारियों से समस्याएं साझा करते हुए कहा कि उनके गांव में खेती की समस्या इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि हाथी आकर नुकसान पहुंचा जाते हैं. इस पर अधिकारियों ने उन्हें बताया कि इसके पीछे भी कहीं न कहीं शराब एक बड़ा कारण है, क्योंकि महुआ शराब की गंध पाकर हाथी आकर्षित होते हैं. वहीं एक बार जब आना शुरू हो जाते हैं तो वे बार-बार उस क्षेत्र में आते हैं. इसलिए शराब निर्माण बंदी के बाद हो सकता है कि हाथियों का यहां आवागमन बंद हो जाये.
कल्याणकारी योजनाओं की दी गयी जानकारीअधिकारियों ने कहा कि अवैध शराब का काम छोड़ने के बाद भी उनके पास तमाम विकल्प मौजूद रहेंगे. उनके व्यवसाय करने के लिए या उनके कौशल संवर्धन के लिए सरकार की ओर से तमाम कल्याणकारी योजनाएं संचालित हैं. इन योजनाओं के बारे में मेराल सीओ, प्रखंड कल्याण पदाधिकारी, तथा प्रखंड उद्यम समन्वयक ने विस्तार से बताया.25 हजार से 25 लाख रु तक का मिलेगा ऋण : कहा गया कि अगर कोई परिवार व्यवसाय करना चाहता है, तो उसको 25 हजार से लेकर 25 लाख रु तक की ऋण सहायता दी जायेगी. इसके अलावा पीएम विश्वकर्मा योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना, पीएम किसान सम्मान योजना, केसीसी पशुधन योजना, फूलो-झानो योजना आदि के बारे में भी जानकारी दी गयी. ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में बीमारी से भी लोग त्रस्त हैं. इस पर उन्हें बताया गया कि वे आयुष्मान कार्ड के अलावा मुख्यमंत्री गंभीर रोग उपचार योजना का भी नियमानुसार लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
महिला स्वयं सहायता समूह निभायेगी सक्रिय भागीदारीकार्यक्रम में मौजूद डीपीएम विमलेश शुक्ला ने बताया कि दुलदुलवा में 58 महिला स्वयं सहायता समूह की 580 महिलाएं कार्यरत हैं. ये महिला समूह न केवल शराब मुक्ति की दिशा में अभिप्रेरक का काम करेंगे बल्कि शराब व्यवसाय छोड़ने के उपरांत वैकल्पिक व्यवसाय के लिए लोगों की काउंसलिंग एवं जानकारी देने का मुख्य माध्यम बनेंगे.मदर्स डे पर माताओं से अपीलएसडीएम संजय कुमार सहित अन्य पदाधिकारियों ने उपस्थित महिलाओं को मदर्स डे की शुभकामनाएं दीं. साथ ही उनसे अपील की कि बच्चों के भविष्य की चिंता माताओं से ज्यादा कोई नहीं कर सकता है. इसलिए आज वे मदर्स डे पर संकल्प लें कि गांव के बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए अवैध शराब का कारोबार बंद करायेंगे. उन्हें इस दिशा में महत्वपूर्ण जागरूकता अभियान का नेतृत्व करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए.
बड़े-बड़े आंदोलनों की शुरुआत महिलाओं ने ही की हैएसडीपीओ नीरज कुमार ने कहा कि बड़े-बड़े सामाजिक आंदोलनों में महिलाओं की हमेशा से अग्रणी भूमिका रही है. खासकर नशा उन्मूलन को लेकर किये गये बड़े प्रयासों में महिलाओं का प्रमुख योगदान रहा है. इसलिए दुलदुलवा की महिलाओं से भी उन्हें बहुत उम्मीद है कि यहां पर माताएं-बहनें शराब मुक्ति की दिशा में अपनी ईमानदार भूमिका निभायेंगी.इन्होंने भी विचार व्यक्त किये : कार्यक्रम में मेराल के अंचलाधिकारी यश्वंत नायक, जेएसएलपीएस के जिला कार्यक्रम प्रबंधक विमलेश कुमार शुक्ला, स्थानीय मुखिया रामप्रताप यादव, प्रभारी कल्याण पदाधिकारी दिलीप कुमार रजक, पंचायत सचिव शोभित कुमार तिवारी, राजस्व उपनिरीक्षक मुकेश किस्कु, प्रखंड उद्यमी समन्वयक महेंद्र विश्वकर्मा,राजेगार सेवक अभिषेक धर दूबे, जेएसएलपीएस के प्रखंड कार्यक्रम पंबंधक गिरिजेश शर्मा, वन सुरक्षा समिति के अध्यक्ष संतोष यादव, स्थानिक ग्रामीण शमशेर अंसारी, अशोक पाल, विनोद चंद्रवंशी, शबनम आरा, अशोक साव, लीलावती देवी, सुनैना देवी, सविता देवी, पूनम कुमारी, गीता देवी, शांति देवी, रेखा देवी, ललिता देवी, अशोक चंद्रवंशी, अखिलेश चंद्रवंशी, चुन्नू, अरुण गुप्ता, बंशीधर साव, जितेंद्र साव, जसवंती देवी व सत्येंद्र चंद्रवंशी ने भी विचार व्यक्त किये.
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