ऐसा माना जाता है कि इस दिन सांप की पूजा करने से लोगों को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. आज के दिन प्रत्येक हिंदू घर में नागराज की पूजा की जाती है. भविष्य पुराण के अनुसार सुमन तू मुनि ने शैतानी का राजा को नाग पंचमी की कथा के बारे में जानकारी दी थी. जिसमें बताया गया था कि श्रावण शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को नाग लोक में उत्सव मनाया जाता है. इस दिन नागों को गाय का दूध से स्नान करा कर उनकी पूजा की जाती है. उन्हें दूध तथा धान का लावा खिलाने का विधान है. इस संबंध में आरपीएफ हजारीबाग रोड स्थित पंच मंदिर पुजारी सब्यसाची पांडेय ने बताया कि ऐसा करने से नाग देवता पूजा करने वाले व्यक्तियों को अभय दान देते हैं. महाभारत में जन्मेजय जी के द्वारा नाग यज्ञ किया गया था, जिसमें बड़े-बड़े नाग अग्निकुंड में जलने लगे थे. उनकी सुरक्षा के लिए आस्तिक मुनि ने नाग यज्ञ को रोक दिया था तथा सांपों को जलने से बचाया था उस दिन पंचमी तिथि थी. बताया कि नाग पंचमी का दिन भगवान शिव तथा नाग देवता के लिए समर्पित है. इस दिन नाग देवता की पूजा करने से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है. आज के दिन घर की महिलाएं नाग देवता का चित्र घर के द्वार पर कोयला से बनाती हैं, जिसकी पूजा परिवार वाले करते हैं. दूध, लावा चढ़ाया जाता है. घी के दीपक जलाये जाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से सांप घर में नहीं घुसते हैं. कहा कि नागपंचमी के दिन बाल-नाखून नहीं काटना चाहिए. खेतों में हल- ट्रैक्टर भी चलाना प्रबंधित माना गया है. इस दिन शिव मंदिरों में भगवान शिव जी की पूजा और अभिषेक उत्तम माना गया है.
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