प्रशिक्षण लेने के बाद किसानों को योजनाओं से जोड़कर उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है. वैसे ग्रामीण जिनके पास जिनके पास तालाब हैं, उसमें विभाग मछली पालन के लिए आवश्यक संसाधन की व्यवस्था करने के साथ आर्थिक मदद की भी योजना बनायी है. खंडोली में मत्स्य पालन की योजना के बाद अब इसे अन्य क्षेत्र में बढ़ाने पर काम किया जा रहा है. प्रखंड के अन्य जलाशयों में मछली पालन के लिए ग्रामीणों को स्पाॅन, चारा, जाल की व्यवस्था की जा रही है, ताकि उन्हें मत्स्य पालन में सुविधा हो सके.
तीन सौ ग्रामीणों को योजना से जोड़ने का लक्ष्य : जिला मत्स्य अधिकारी
जिला मत्स्य अधिकारी मुजाहिद अंसारी ने बताया विभाग के पास कई योजनाएं हैं, जिसके माध्यम से किसान लाभान्वित हो सकते हैं. अब सारी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गयी है, जिससे किसानों को घर बैठे इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं. बताया इस क्षेत्र में कार्य करने के इच्छुक ग्रामीणों को रांची में तीन दिनों का प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाया जा रहा है. प्रशिक्षण प्राप्त तीन सौ किसानों को इस कार्य से जोड़ने का लक्ष्य है. अभी तक डेढ़ सौ किसानों को ही इससे जोड़ा जा सका है. लक्ष्य हासिल करने की दिशा में विभागीय कर्मी लगे हुए हैं. किसान कम मेहनत कर मत्स्य पालन से अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं. केज कल्चर की भी संभावना है. इसे देखते हुए तालाबों में केज लगाने के इच्छुक ग्रामीण योजना का लाभ ले सकते हैं.कई स्थानों पर तैयार हो रहे हैं स्पाॅन
जिला मत्स्य पदाधिकारी ने बताया बेंगाबाद के नगरी गांव में व्यापक पैमाने पर स्पाॅन तैयार किये जा रहे हैं. कुछ दिनों में यहां से मछली का जीरा से फिंगरलिंग तालाबों में डालने के लिए तैयार हो जायेंगे. किसान यहां से जीरा खरीदी कर सकते हैं, इसके लिए सरकार से किसानों को सबसिडी भी मिलेगा. खंडोली जलाशय में 16 लाख जीरा डालने की योजना है. वहीं प्रखंड के अन्य तालाबों को भी चिह्नित किया गया है, जहां मछली का जीरा डाला जायेगा. बड़े मत्स्य पालकों को लाइफ जैकेट, बोट, केज सहित अन्य संसाधनों उपलब्ध कराये जायेंगे.
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