दिशोम गुरु शिबू सोरेन का बेंगाबाद से खास लगाव था. उनके नजदीकी रहे पूर्व विधायक स्व. सालखन सोरेन के आवास भी वह पहुंचे थे. वहीं, धुमाडीह के मैदान में झामुमो कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के लिए कई बार आये. महाजनी प्रथा के विरुद्ध जब उनका आंदोलन जब चरम पर था, तब भी वह बेंगाबाद के गांवों का भ्रमण करते थे. बेंगाबाद के फाॅरेस्ट विभाग के गेस्ट हाउस में भी ठहरते थे. वन विश्रामागार का शांत माहौल उन्हें बरबस अपनी ओर खींचता था. झामुमो कार्यकर्ताओं को एकजुट करने व संगठन को मजबूत करने के लिए उनकी उपस्थिति अहम रहती थी. उनके निधन से झामुमो कार्यकर्ताओं के साथ-साथ वन विश्रामागार के केयरटेकर में शोक दिखा. झामुमो कार्यकर्ता काफी दुखी थे. जिला उपाध्यक्ष विजय सिंह, प्रखंड अध्यक्ष नुनूराम किस्कू, प्रखंड सचिव खुर्शीद अनवर हादी, तीरथ शर्मा, प्रदीप सिंह, नीलकंठ मंडल, मंजू मरांडी, बिंदुलाल मरांडी, विपिन सिंह, नकुल रविदास आदि ने गहरा प्रकट किया है. कहा कि उनके संघर्ष और बलिदान के बल पर अलग झारखंड का सपना साकार हुआ और झामुमो संगठन की जडें भी मजबूत हुईं.
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