बताया जाता है कि पुरानी दर पर औसतन दस प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी. प्रत्येक दो वर्ष पर जमीन व मकान के मूल्यांकन की नयी दर लागू की जाती है. पिछले वर्ष ग्रामीण इलाके की जमीन व मकान का नया टैरिफ लागू किया गया था. इस बार शहरी क्षेत्र और उससे सटे इलाकों में मूल्यांंकन का नया टैरिफ तैयार किया जा रहा है. देखा गया है कि हर दो वर्षों में दस प्रतिशत की दर से टैरिफ में बढ़ोतरी की जाती है. पूर्व की विसंगतियों का खामियाजा अब तक लोग भुगत रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि इस बार भी इन विसंगतियों को दूर करने की कोई पहल नहीं की गयी है. पुरानी दर में ही दस प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए नया मूल्यांकन टैरिफ जारी करने की योजना लगभग पूरी कर ली गयी है.
कंस्ट्रक्शन खर्च कम, फिर भी मूल्यांकन होता रहा अधिक
जानकार लोगों का कहना है कि गिरिडीह जिले में कंस्ट्रक्शन खर्च पर ज्यादा की बढ़ोतरी नहीं हुई है, पर पिछले कुछ वर्षों से परंपरागत तरीके से निर्मित भवन की दर तय की जा रही है. सूत्रों का कहना है कि गिरिडीह शहरी क्षेत्र में डिलक्स बिल्डिंग बनाने का अधिकतम खर्च 1500 से 1600 रु प्रति स्क्वायर फीट है, पर गली में स्थित डिलक्स बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 2351 रु प्रति स्क्वायर फीट तय किया गया है. अन्य मार्ग पर टाइल्स मार्बल से बने भवन का कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 2831 रु प्रति स्क्वायर फीट है और मेन रोड पर 3412 रु प्रति स्क्वायर फीट निर्धारित है. जबकि व्यावसायिक भवन का अन्य मार्ग पर 2904 रु प्रति स्क्वायर फीट और मेन रोड पर 3485 रु प्रति स्क्वायर फीट तय है. बिल्डरों का कहना है कि क्षेत्र बदलने से जमीन का मूल्यांकन बदलना तो उचित है, पर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट को अलग-अलग स्थानों के लिए अलग-अलग तय करना बिल्कुल अव्यावहारिक है.
मूल्यांकन की समीक्षा नहीं होने से हो रही है परेशानी : बक्सी
वरिष्ठ अधिवक्ता टीपी बक्सी का कहना है कि एक अगस्त से जमीन-मकान के मूल्यांकन का नया टैरिफ लागू हो जायेगा. इस वर्ष भी परंपरागत तरीके से ही मूल्यांकन कर टैरिफ जारी किये जायेंगे. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. बताया कि मूल्यांकन की समीक्षा नहीं किये जाने से लोग लंबे समय से परेशान हैं. खास तौर पर मकान के निर्माण पर होने वाले खर्च के मूल्यांकन में काफी विसंगति है. गिरिडीह शहर में लगभग हर इलाके में मकान बनाने का खर्च औसतन एक जैसा ही है, पर प्रशासन की ओर से अलग-अलग स्थानों के लिए अलग-अलग मूल्यांकन टैरिफ लागू कर दिया जाता है. यही नहीं, हर दो वर्षों में दस प्रतिशत की बढ़ोतरी भी बिल्कुल अव्यावहारिक है. उन्होंने बताया कि किसी भी जमीन व मकान का मूल्यांकन इसी रफ्तार में होने से करीब दस-बारह वर्षों में जमीन व मकान का मूल्य लगभग दोगुणा हो जाता है. व्यावहारिक रूप से ऐसा संभव नहीं है. श्री बक्सी ने कहा कि जमीन के मूल्यांकन से पूर्व एक बार इसकी समीक्षा जरूरी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है