जिला व अपर सत्र न्यायाधीश मनोज चंद्र झा की अदालत ने गुरुवार को नक्सली गतिविधि के आरोप में गिरफ्तार तीन आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. अदालत ने यह निर्णय पीपी अशोक कुमार दास द्वारा ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये जाने के आधार पर सुनाया. जानकारी के अनुसार यह मामला 14 जुलाई 2012 को पीरटांड़ थाना में मामला दर्ज किया गया था. तत्कालीन अवर निरीक्षक हरिकिशन उरांव ने वरीय अधिकारियों के निर्देश पर ब्लैक पैंथर अभियान के तहत नक्सलियों के खिलाफ छापेमारी की थी. इस अभियान में कुल 28 अज्ञात नक्सलियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. आरोपियों पर आइपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 109, 120बी के साथ-साथ आर्म्स एक्ट की धारा 27, क्रिमिनल लॉ एक्ट की धारा 17 तथा यूएपीए की धारा 13 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. बचाव पक्ष के अधिवक्ता अजीत कुमार राय ने बताया कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में पूरी तरह असफल रहा. अदालत ने तथ्यों व साक्ष्यों के अभाव में तीनों आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया. वहीं, पीपी अशोक कुमार दास ने कहा कि यह फैसला केवल तीन आरोपियों से संबंधित है. शेष आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा अभी भी विचाराधीन है और उनके खिलाफ आवश्यक साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत किये जायेंगे. हमले की रच रहे थे साजिश, पुलिस ने चलाया था विशेष अभियान : मालूम रहे कि पुलिस को सूचना मिली थी कि नक्सली गिरोह पुलिस कैंप पर हमले की साजिश रच रहे हैं. इसी सूचना के आधार पर पीरटांड़ थाना क्षेत्र में विशेष छापेमारी अभियान चलाया गया था. इसमें 28 नक्सलियों को पकड़ा गया था. अब इस मामले में तीन आरोपियों को राहत मिल चुकी है, जबकि अन्य पर मुकदमा जारी है.
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