Women Forest Guard: बगोदर (गिरिडीह), कुमार गौरव-गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड की अडवारा पंचायत की महिलाएं तीन दशक से जंगल बचा रही हैं. जान जोखिम में डालकर ये लकड़ी तस्करों से भी भिड़ जाती हैं. इनकी पहरेदारी का ही नतीजा है कि इन इलाकों में जंगल की हरियाली देखते ही बनती है. हर दिन टोली बनाकर जंगल में गश्ती करना इनकी दिनचर्या में शामिल है. तुकतुको वन बचाओ समिति जंगल सुरक्षा को लेकर मिसाल पेश कर रही है. राज्यस्तर पर इस समिति को सम्मानित किया जा चुका है. हरियाली की रखवाली करनेवाली ये महिलाएं कंधे पर टांगी (कुल्हाड़ी) लेकर शेरनी की तरह जंगल में दहाड़ती हैं. यही वजह है कि जंगल में हरियाली है.
टोली बनाकर पहरेदारी करती हैं महिलाएं
तीन दशक से गांव के लोगों का जंगल के प्रति ऐसा लगाव है कि अन्य लोग इनसे प्रेरणा लेते हैं. यहां महिलाएं भी जंगल सुरक्षा में जुटी रहती हैं. तुकतुको वन प्रबंधन समिति से जुड़े महिला-पुरुष जंगल बचाने में जुटे हैं. यह जंगल अडवारा पंचायत के 2200 एकड़ में फैला हुआ है. पांच से दस की संख्या में महिलाएं टोली बनाकर पहरेदारी करती हैं. जंगल में आग नहीं लगाने और पेड़-पौधे नहीं काटने को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाती हैं. महिलाएं कहती हैं कि पेड़-पौधे हैं, तभी हमारा जीवन है. गांव में पुरुषों के रोजगार के लिए बाहर जाने पर महिलाओं ने जंगल सुरक्षा की कमान संभाली. पहले गांव के पुरुष भी वनों की सुरक्षा के लिए निकलते थे.
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पहले रात में भी होती थी पहरेदारी
वन बचाओ समिति द्वारा जंगल की सुरक्षा दिन के साथ रात में भी की जाती थी. कई बार जंगल से लकड़ी काटने वाले चोरों को भी रात्रि में खदेड़ा जाता था. यहां तक कई बार उन तस्करों को पकड़ कर दंड भी दिया गया है. लकड़ी तस्करों ने पेड़ों को काटने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन ग्रामीणों की एकजुटता के कारण जंगल को उजड़ने से बचाया जा सका है.
हर रविवार को होती है समीक्षा बैठक
जंगल सुरक्षा को लेकर हर रविवार को समीक्षात्मक बैठक होती है. इसमें जंगल की गतिविधि और पशु-पक्षियों की सुरक्षा को लेकर चर्चा की जाती है. इस जंगल में पक्षियों में मोर, पशुओं में नीलगाय, हिरण, भेड़िया, सियार, अजगर समेत अन्य पशु-पक्षी हैं.
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क्या कहती हैं महिलाएं
पार्वती देवी कहती हैं कि जंगल ही उनका सब कुछ है. इसलिए वे जंगल की सुरक्षा में लगी रहती हैं. तीन दशक से वे जंगल बचाती आ रही हैं. गायत्री देवी बताती हैं कि जंगल में कई तरह के जीव-जंतुओं का आशियाना है. इन्हें बचाना बहुत जरूरी है. ये रहेंगे तभी हम सभी सुरक्षित रहेंगे.
जंगल सुरक्षा के लिए सम्मानित हो चुकी है यह समिति
तुकतुको वन प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भुनेश्वर महतो ने कहा कि जंगल और जमीन सभ्यता-संस्कृति की धरोहर हैं. महिलाएं इनकी सुरक्षा में लगी हैं. यह काबिलेतारीफ है. यह समिति जंगल सुरक्षा को लेकर राज्य स्तर पर भी सम्मानित हो चुकी है.
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हरियाली की रखवाली में इनका भी अहम योगदान
हरियाली की रखवाली में कन्हैया महतो, हेमंत महतो, रश्मि देवी, ननकी देवी, सुधा देवी, आशा देवी, जहली देवी समेत कई महिलाएं लगी हुई हैं. इन्हीं की मेहनत का असर है कि जंगल हरे-भरे हैं. पक्षियों की चहचहाहट गूंज रही है.
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