मेहरमा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से रविवार को मेहरमा प्रखंड के सुढ़नी गांव में डोर-टू-डोर अभियान चलाकर ग्रामीणों को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी दी गयी. इस दौरान अधिकार मित्र मीनू बेसरा और दयानंद यादव ने बाल विवाह, दहेज प्रथा, डायन प्रथा और घरेलू हिंसा जैसे सामाजिक अपराधों के खिलाफ विस्तारपूर्वक जानकारी दी. ग्रामीणों को बताया गया कि बाल विवाह एक दंडनीय अपराध है. 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की तथा 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के की शादी करना कानूनन अपराध है. यदि कोई अभिभावक बाल विवाह कराता है या उसमें शामिल होता है, तो उसे दो वर्ष का कारावास एवं एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. अधिकार मित्रों ने बताया कि बाल विवाह में नाई, धोबी, ब्राह्मण, पंडित, मौलवी, अगवा, रिश्तेदार या ग्रामीण कोई भी यदि विवाह में भाग लेता है, तो वह भी दंड के भागी होंगे. इसलिए समाज के हर व्यक्ति को सजग और जागरूक रहना चाहिए.
गुप्त सूचना देने के लिए करें 1098 पर कॉल
यदि किसी को अपने क्षेत्र में बाल विवाह जैसी घटना की जानकारी मिलती है, तो वह स्थानीय प्रशासन को सूचित कर सकता है या 1098 पर कॉल कर गुप्त रूप से सूचना देकर बाल विवाह रोकने में मदद कर सकता है. अधिकार मित्रों ने यह भी बताया कि जिले के हर प्रखंड में अधिकार मित्र चयनित किये गये हैं, जिनसे संपर्क कर ग्रामीण अपने किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान पा सकते हैं. इसके अतिरिक्त, कोई भी व्यक्ति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन देकर मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त कर सकता है.जागरूकता ही समाधान का रास्ता
अधिकार मित्रों ने कहा कि जब तक समाज के लोग स्वयं जागरूक नहीं होंगे, तब तक बाल विवाह और अन्य सामाजिक कुरीतियों को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता. कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों ने भी जागरूकता अभियान की सराहना की. मौके पर रजनी देवी, कमली देवी, ममता देवी सहित कई ग्रामीण महिलाएं उपस्थित थीं.
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