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मनरेगा योजना में जिले भर के मजदूरों का 10 करोड़ रुपये भुगतान लंबित

सामग्री मद में तीन वित्तीय वर्ष में 35 करोड़ से अधिक बकाया, पोड़ैयाहाट में तीन करोड़ भुगतान लंबित

रोजगार को लेकर महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा का जिले में बुरा हाल है. प्रखंड क्षेत्र में मनरेगा के तहत किये गये काम का लगातार कई वित्तीय वर्ष के दौरान अब तक भुगतान नहीं हो सका है. वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24, 2024-25 का भुगतान पिछले सात माह से नहीं हो पा रहा है. इस वजह से मजदूर अन्यत्र मजदूरी के लिए पलायन कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार जिले के सभी प्रखंडों में सामग्री मद में 35 करोड़ से अधिक राशि का भुगतान लंबित है. पोड़ैयाहाट में तीन वित्तीय वर्ष में 2.75 करोड़ की राशि बकाया है. हालांकि कुछ पंचायतों में भुगतान हुआ है. बताया जाता है कि मनरेगा एक्ट के तहत 15 दिनों के अंदर मजदूरों का भुगतान एवं सामग्री खरीद के भुगतान का प्रावधान है. मजदूरों का भुगतान एक-दो माह के अंदर हो जाता है, सामग्री खरीद का भुगतान कई माह से नहीं हो रहा है.

निजी खर्च से पशु शेड बनाने के बाद नहीं हुआ भुगतान

लाभुक प्रेमलाल ठाकुर, महिद्र टुडू, तालको किस्कू व अन्य ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके द्वारा पशु शेड बनाने की स्वीकृति दो वर्ष पूर्व किया गया गया था. निजी खर्च से बनाकर तैयार कर दिया गया, लेकिन सरकार की ओर से भुगतान नहीं किया गया है. प्रखंड में ऐसे 115 शेड बनकर तैयार हैं. जिस पर कुल बकाया लगभग तीन करोड है. इसमें केवल मजदूरों के बकाया भुगतान की बात की जाये तो जिले भर में 10 करोड़ से ज्यादा का बकाया चल रहा है. पोड़ैयाहाट में लगभग 2.75 करोड़ का बकाया है. सिंचाई कूप किसानों के लिए लाभदायक होता है. मनरेगा योजना के खस्ताहाल स्थिति की वजह से ऐसे कूप बनाने वाले लाभुक घर से पैसे लगाकर निर्माण कार्य तो कर लिया है, मगर उचित समय पर पैसा नहीं मिलने की वजह कर्ज में आ गये. सीमेंट, बालू, गिट्टी आदि उधार ली गयी है. इससे प्रखंड के पिंडरा हाट, सिंदबांक, बांझी, खरखचिया, सतबंधा सहित दर्जनों गांव के लोग प्रतिदिन प्रखंड मुख्यालय जानकारी लेने पहुंचते हैं और निराश होकर लोट जाते हैं. सरकार की ओर से राशि ब्लॉक में नहीं भेजी गयी है. वित्तीय वर्ष 21-22, 22-23 में मनरेगा योजना के तहत बड़ी संख्या में योजनाओं की स्वीकृति दी गयी है. लेकिन समय पर सामग्री का भुगतान नहीं होने से लोगों में नाराजगी है.

मनरेगा के भरोसे नहीं रहते हैं मजदूर

प्रखंड के मजदूरों का कहना है कि अगर मनरेगा के भरोसे रहे तो परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो जायेगी. खेती बाड़ी के समय रहते हैं, बाकि अन्य राज्य व शहरों में काम करने जाना पड़ता है. मनरेगा में काम करने के 15 दिनों में भी भुगतान नहीं हो पाता है.‘मनरेगा योजना को लेकर जो भी भुगतान लंबित पड़ा है, उसके लिए डिमांड भेजा गया है. जैसे ही राशि प्राप्त होगी, सभी का भुगतान कर दिया जाएगा.,

-फुलेश्वर मुर्मू, बीडीओ पोड़ैयाहाटB

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