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भिगंडा गांव के तीनों टोला का जलमीनार खराब

पहाड़ी क्षेत्र के गांव में पेयजल के लिए ग्रामीण हलकान

ठाकुरगंगटी प्रखंड क्षेत्र के रुंजी पंचायत के अंतर्गत भिगंडा गांव में इन दिनों पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गयी है. गांव के लोग पीने के पानी को लेकर त्राहिमाम हो रहे हैं. यह गांव बसता पहाड़ी परिक्षेत्र के नीचे बसा हुआ है. गांव के तीन टोले में लगा सोलर जलमीनार विगत सात माह से खराब पड़ा हुआ है. तीन टोले की लगभग 2000 की आबादी इस पर निर्भर थी, जिन्हें आज जलमीनार से एक बंद पानी नसीब नहीं हो रहा है. ग्रामीणों को अन्यत्र स्थानों का सहारा लेकर लंबी दूरी तय कर पानी लाना पड़ता है. तीनों का तीनों जलमीनार सिर्फ हाथी का दांत साबित हो रहा है, जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. गांव के चारो तरफ पानी के लिए ग्रामीण परेशान हैं. धीरे-धीरे तापमान भी बढ़ता जा रहा है. संबंधित विभाग के जेइ को सूचना देने के बावजूद भी सुधि नहीं ली जाती है, जिसके कारण गांव के हजारों हजार की आबादी पीने के पानी को लेकर हलकान है. ग्रामीण दामोदर मंडल, परमेश्वर रविदास, अशोक रविदास,सुरेश रविदास, गणेश दास, भोजल दास ने बताया कि इन दिनों पेयजल की घनघोर किल्लत है.

लंबी दूरी तय कर दूसरे स्थान से लाना पड़ता है पानी

गांव के ग्रामीणों को लंबी दूरी तय कर दूसरे स्थान से पानी लाना पड़ता है. खासकर तो पानी की जद्दोजहद घर की महिलाओं को करनी पड़ती है, जो सुबह से लेकर शाम तक परेशान रहती है. ग्रामीणों ने बताया की खराब पड़े जलमीनार की मरम्मत करा दिया जाये तो गांव के लोगों को इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से समस्या के निदान की मांग की है, ताकि थोड़ी राहत मिल सके. बताते चलें कि क्षेत्र के कई ऐसे गांवों में सोलर जलमीनार खराब पड़ा है, जिसकी सुधि ना तो प्रखंड प्रशासन ही ले रही है और ना ही संबंधित विभाग के जेइ. पूर्व के पंचायत समिति की बैठक में संबंधित विभाग के जेइ को निर्देशित किया गया था, परंतु समस्या जस की तस पड़ी हुई है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में अगर यही हाल रहा, तो लोगों को भीषण गर्मी में काफी परेशानी झेलनी पड़ेगी. पंचायत के पंचायत समिति सदस्य इंद्रजीत मंडल ने बताया कि एक ओर गांव के एक-एक ग्रामीण पानी को लेकर परेशानी के शिकार हो रहे हैं. इसके बावजूद भी ना तो मरम्मत करायी जा रही है और ना ही कोई अन्य विकल्प ढूंढा जा रहा है. उन्होंने बताया कि अगर यही हाल रहा तो गांव के लोग आंदोलन को लेकर बाध्य होंगे.

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