गुमला. संत इग्नासियुस प्लस टू उवि गुमला में गुरुवार को संत इग्नासियुस लोयोला का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया. स्कूल परिसर स्थित स्व फादर पीपी वनफल सभागार में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्राइमरी स्कूल, हाई स्कूल व इंटर कॉलेज के विद्यार्थियों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किये. इससे पूर्व अतिथियों ने दीप जला कर व संत इग्नासियुस लोयोला की तस्वीर पर पुष्पार्चन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. मुख्य अतिथि संत इग्नासियुस के रेक्टर फादर फ्लोरेंस कुजूर ने कहा कि संत इग्नासियुस का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायी है. उन्होंने सभी से ईश्वर के प्रति कृतज्ञ बने रहने के लिए अपील करते हुए कहा कि संत इग्नासियुस लोयोला हमेशा ईश्वर के प्रति कृतज्ञ रहे. संत बनने से पहले जब वे एक सैनिक थे. वैश्विक युद्ध के बीच पंपलोना के सैनिक बन कर उन्होंने अपने देश के लिए लड़ाई लड़ी. लेकिन लड़ाई के बीच गंभीर रूप से घायल हो गये. यहीं से उनके महान संत बनने की गाथा शुरू हो गयी. इलाज के दौरान महान संतों व ख्रीस्त की जीवनी पढ़ने के बाद उनके मन में हिंसा के प्रति घृणा होने लगी. उन्होंने ईश्वर से इसका पाश्चताप किया. उन्होंने ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट किया. उन्होंने अपने एक नये जीवन की शुरुआत की और ईश्वर के प्रति कृतज्ञ रहते हुए मानव सेवा में अपना जीवन गुजार दिया. मौके पर संत इग्नासियुस के बर्सर फादर जयवंत सोरेंग, फादर अगुस्टीन कुजूर, फादर प्रफुल्ल एक्का, फादर सुमन, फादर जार्ज सोरेंग, फादर एल्फिज केरकेट्टा, ब्रदर प्रकाश कुल्लू, शिक्षक नीलम प्रकाश लकड़ा, अजमीर किंडो समेत सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं और विद्यार्थी मौजूद थे.
संत इग्नासियुस के आदर्शों पर चलने की जरूरत : फादर मनोहर
प्रधानाध्यापक फादर मनोहर खोया ने कहा कि संत इग्नासियुस का आदर्श वाक्या था कि ईश्वर की महत्तर महिमा के लिए. कहने का तात्पर्य यह है कि आप जो भी करें, ईश्वर की महत्तर महिमा के लिए करें. जिस प्रकार संत इग्नासियुस ने अपने हर काम को ईमानदारी पूर्वक ईश्वर की महत्तर महिमा के लिए किया. संत इग्नासियुस लोयोला की भांति किसी भी काम को पूरे समर्पण की भावना से करें. संत इग्नासियुस में जज्बा और जुनून था. पहले खुद के लिए और देश के लिए नाम कमाने की चाह थी. इसके लिए वे सैनिक बनें और दुश्मन देश के सैनिकों का मारा. लेकिन जब उन्हें इसका पश्चतावा हुआ तो वे सांसारिक मोह माया को त्याग कर ईश्वरीय मार्ग पर चल पड़े. उन्होंने अपने जीवन को ईश्वर को समर्पित कर दिया और असहायों व दीन दुखियों की सेवा में लगा दिया. हम सभी को उनके आदर्शों पर चलने की जरूरत है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है