गुमला. पूर्व सीएम दिसोम गुरु शिबू सोरेन का गुमला से लगाव था. वे जब भी गुमला आते, बिशप हाउस में जरूर चाय पीते थे. वे बिशप हाउस में घंटों रुकते थे व जिले के बारे में चर्चा करते थे. गुमला में कभी भी उन्हें बुलाया गया हो, वे जरूर आये थे. कभी सड़क मार्ग, तो कभी हवाई मार्ग से भी गुमला पहुंचे हैं. वर्ष 2006 में कुरकुरा नरसंहार हुआ था. सीएम की शपथ लेते शिबू सोरेन घोर नक्सल प्रभावित कुरकुरा पहुंचे थे. उस समय हेलीकॉप्टर में शिबू सोरेन के साथ गुमला विधायक भूषण तिर्की व जिग्गा सुसारन होरो भी थे. शिबू सोरेन की पहल से ही कुरकुरा में आज थाना की स्थापना हुई है और इस क्षेत्र में नक्सल के खिलाफ बड़ा अभियान चला था. शहीद तेलंगा खड़िया के वंशजों से शिबू सोरेन जब भी मुरगू गांव आते थे, वे मिलते थे. यहां मयूरी ट्रस्ट द्वारा फरवरी माह में शहीद तेलंगा खड़िया की याद में कार्यक्रम किया जाता है. इसमें शिबू सोरेन आये थे. शिबू सोरेन की पहल से ही पुसो व करंज को थाना का दर्जा मिला. हालांकि पुसो व करंज के लोग लंबे समय से इन दोनों पंचायतों को प्रखंड बनाने की मांग कर रहे थे. इस दौरान शिबू सोरेन बारंदा में सभा कर दोनों पंचायतों को प्रखंड बनाने का वादा किया था. परंतु पहले फेज में पुसो व करंज को थाना बनाया गया. हर चुनावी सभा में शिबू सोरेन गुमला जरूर आते थे. वे गुमला हवाई अड्डा, चैनपुर के बरवे मैदान में सभा को संबोधित किये हैं. यहां तक कि वे परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम में भी कई जनसभाओं को संबोधित किये हैं.
गुमला धर्मप्रांत के इसाई समुदाय मर्माहत: फादर सीप्रियन
फादर सीप्रियन कुल्लू ने कहा कि गुमला धर्मप्रांत के इसाई समुदाय मर्माहत है. गुमला बिशप हाउस के वे बहुत अच्छे मित्र थे. जब भी इधर आना होता था. बिशप हाउस चाय पीने घुस जाते थे. छोटानागपुर में इसाइयों का योगदान विशेषकर सुदूर जंगलों में बसे आदिवासी-मूलवासियों के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य, अंधविश्वास दूर करना, सामाजिक जागृति लाना आदि की तारीफ करते थे. आज वे हमें छेाड़ कर चले गये. आज झारखंड के इतिहास में एक युग का अंत हो रहा है. ऊपरवाला अपने यहां उनके महान कार्यों का इनाम दें और विरासत में जो विशाल परिवार है, उन्हें ऊपर से प्रेरणा देते रहें. कहा कि पूरा झारखंड उनका परिवार है. प्रकृति की नियति है, जो आया है वह जायेगा.
जारी ब्लॉक शिबू सोरेन की देन : विधायक
विधायक भूषण तिर्की ने कहा है कि आज अलबर्ट एक्का जारी जो गुमला जिले का 12वां प्रखंड है. जारी को प्रखंड बनाने में शिबू सोरेन की अहम भूमिका रही है. जब मैंने जारी को प्रखंड बनाने की मांग रखी, तब उन्होंने इसे गंभीरता से लिया था. कई अड़चनों के बावजूद शिबू सोरेन ने शहीद अलबर्ट एक्का के नाम से जारी को प्रखंड का दर्जा दिलाये और आज जारी प्रखंड विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. गुमला के पूर्वी क्षेत्र में भी उनकी कई सभाएं आज भी याद दिलाती हैं कि वे दूरस्थ से दूरस्थ क्षेत्रों में लोगों के बीच जाते थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है