: गुमला शहर के बीचोंबीच स्थित है टावर चौक, परंतु, देखरेख के अभाव में क्षतिग्रस्त हो रहा है. गाड़ियों के धक्के से लोहे का रेलिंग टूटकर नष्ट हो गया बंदूक की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. नगर परिषद गुमला व बैंक ऑफ इंडिया के जिम्मे में टावर चौक की देखरेख की जिम्मेवारी है. 2 गुम 30 में रमेश कुमार2 गुम 31 में दामोदर कसेरा2 गुम 32 में आनंद गुप्ता2 गुम 33 में मुन्ना सिंह2 गुम 34 में गुमला शहर के बीच में टावर चौक2 गुम 35 में रेलिंग गायब, बंदूक असुरक्षित है दुर्जय पासवान, गुमला शहर के हृदयस्थल में स्थित टावर चौक, जिसे सम्मानपूर्वक शहीद चौक भी कहा जाता है, आज उपेक्षा और देखरेख के अभाव में क्षतिग्रस्त हो रहा है. यह चौक न केवल ऐतिहासिक और भावनात्मक महत्व रखता है, बल्कि यह गुमला की पहचान और गौरव का प्रतीक भी है. हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर यहां माल्यार्पण कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है. लोग यहां सिर झुकाकर, हाथ जोड़कर अपने वीर सपूतों को नमन करते हैं. इसके बावजूद, प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह स्थल धीरे-धीरे जर्जर होता जा रहा है. टावर चौक के बीचोंबीच एक बंदूक स्थापित है, जो गुमला जिले के शहीदों की स्मृति में लगायी गयी थी. यह बंदूक कभी भी गिर सकती है, क्योंकि इसकी सुरक्षा के लिए जो लोहे की रेलिंग लगायी गयी थी, वह अब टूट चुकी है. बड़ी गाड़ियों के धक्के से चौक का पिलर भी क्षतिग्रस्त हो चुका है. प्रशासन ने ऊपर से रंग-रोगन कर क्षतिग्रस्त हिस्सों को छिपाने की कोशिश की है, लेकिन यह केवल एक अस्थायी समाधान है. अंदर से संरचना कमजोर हो चुकी है और किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है. टावर चौक के चारों ओर पहले लोहे का ग्रिल लगाया गया था ताकि तेज गति से आने वाली गाड़ियों से चौक को सुरक्षा मिल सके. लेकिन नेशनल हाइवे पर स्थित होने के कारण आये दिन किसी न किसी गाड़ी के धक्के से ग्रिल टूटता रहा. अब स्थिति यह है कि सुरक्षा के लिए लगाया गया ग्रिल पूरी तरह से गायब हो चुका है. महीनों बीत गये, लेकिन नया ग्रिल अब तक नहीं लगाया गया है. इसका नतीजा यह है कि अब गाड़ियां सीधे टावर चौक के पिलर से टकरा रही हैं, जिससे इसके पूरी तरह से ध्वस्त होने का खतरा मंडरा रहा है. चौक की मरम्मत की जाये ताकि इसे गिरने से बचाया जा सके : रमेश कुमार स्थानीय लोगों और समाजसेवियों ने कई बार टावर चौक की मरम्मत और बंदूक की सुरक्षा की मांग की है. रमेश कुमार, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष, चेंबर ऑफ कॉमर्स, कहते हैं कि टावर चौक की देखरेख की जिम्मेदारी नगर परिषद गुमला और बैंक ऑफ इंडिया की है. उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया है कि चौक की मरम्मत की जाये ताकि इसे गिरने से बचाया जा सके. उनका मानना है कि यह चौक शहर के हृदयस्थल में स्थित है और इसकी सुरक्षा व सुंदरता सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है. स्थायी मरम्मत की कोई पहल नहीं की जाती : दामोदर कसेरा पूर्व अध्यक्ष दामोदर कसेरा का कहना है कि टावर चौक को लोग शहीद चौक के नाम से जानते हैं और यहां हर राष्ट्रीय पर्व पर श्रद्धा के साथ माल्यार्पण होता है, लेकिन वर्तमान में यह चौक अंतिम सांसें गिन रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन केवल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर रंग-रोगन कर अपनी जिम्मेदारी निभा देता है, जबकि स्थायी मरम्मत की कोई पहल नहीं की जाती. चौक की सुरक्षा पूरी तरह से खतरे में है : आनंद गुप्ता समाजसेवी आनंद गुप्ता ने बताया कि टावर चौक का आधा छत टूट चुका है और अन्य हिस्से भी धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो रहे हैं. उन्होंने कई बार बंदूक की मरम्मत की मांग की, लेकिन जिन संस्थानों को इसकी देखरेख की जिम्मेदारी दी गयी है, उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. अब तो चारों ओर लगा लोहे का ग्रिल भी टूट चुका है, जिससे चौक की सुरक्षा पूरी तरह से खतरे में है. टावर चौक शहर के बीच में है, इसलिए आकर्षक बनाना जरूरी है : मुन्ना सिंह मुन्ना सिंह का कहना है कि टावर चौक शहर के बीच में स्थित है, इसलिए इसे सुंदर और आकर्षक बनाना जरूरी है. उन्होंने सुझाव दिया कि गुमला प्रशासन और नगर परिषद को मिलकर एक ठोस योजना बनानी चाहिये ताकि टावर चौक की मरम्मत और सौंदर्यीकरण किया जा सके. उनका मानना है कि बंदूक की सुरक्षा के लिए मजबूत लोहे की रेलिंग लगायी जाये और चौक का रंग-रोगन भी सुंदर तरीके से किया जाये.
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