गुमला. गुमला जिले में अदला-बदली धनरोपनी की परंपरा आज भी जीवित है. जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शुमार चैनपुर प्रखंड अंतर्गत कुरूमगढ़, मनातू, जिरमी, कोटाम, बहेराटोली, सकरा, डीपाटोली, रोघाडीह समेत आसपास के गांवों में किसान अदला-बदली धनरोपनी कर रहे हैं. पहले जिस किसान के खेत धनरोपनी के लिए तैयार हो गया है. वह किसान गांव के अन्य किसानों के सहयोग से अपने खेत में धनरोपनी कर रहा है. इसके बाद वह किसान भी दूसरे किसानों के खेत में धनरोपनी में मदद कर रहा है. यह परंपरा गांव के लोगों में आपसी भाइचारगी, एकजुटता और संबंधों को दर्शाता है. इसमें सभी लोग एक-दूसरे की मदद को तैयार रहते हैं. गांवों की यह परंपरा पैसे की बचत का भी जीता जागता उदाहरण है. प्राय: किसान हल, बैल व ट्रैक्टर से खेतों की जुताई करते हैं. जुताई के बाद खेत रोपनी के लिए तैयार हो जाता है. इसके बाद कई किसान दैनिक मजदूरी पर लोगों को लगा कर खेतों में धनरोपनी करा लेते हैं. लेकिन कई किसान ऐसे भी हैं, जो खेतों में धनरोपनी के लिए दूसरे किसानों की मदद लेते हैं. इसके बाद वे खुद भी दूसरे किसान की धनरोपनी में मदद करते हैं. जिरमी के किसान प्रसाद लोहरा बताते हैं कि आये दिन हो रही बारिश से इस वर्ष धनरोपनी में परेशानी हुई. बताते हैं कि उनके क्षेत्र में अधिकांश किसान जुलाई माह में दूसरे या तीसरे सप्ताह तक धनरोपनी का काम कर लेते थे. लेकिन इस साल आये दिन की बारिश से खेतों में पानी भर गया था. अभी कुछ दिनों से बारिश से राहत है. किसान तेजी से अदला-बदली धनरोपनी का काम कर रहे हैं. धनरोपनी में गांव के किसान दूसरे किसानों की मदद कर रहे हैं. धनरोपनी के लिए आसपास के गांव के किसान आते हैं. हमारे गांव के किसान भी दूसरे गांव में धनरोपनी करने जाते हैं.
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