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मत्स्यपालकों की समस्या सुनने विशेषज्ञों की टीम तिलैया डैम पहुंची

विश्व बैंक, एएफडी, एनसीडीसी व झारखंड राज्य मत्स्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय संयुक्त टीम बरही अनुमंडल के तिलैया डैम स्थित बुंडू में संचालित केज कल्चर गतिविधियों का निरीक्षण किया.

बरही. विश्व बैंक, एएफडी, एनसीडीसी व झारखंड राज्य मत्स्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय संयुक्त टीम बरही अनुमंडल के तिलैया डैम स्थित बुंडू में संचालित केज कल्चर गतिविधियों का निरीक्षण किया. टीम का नेतृत्व विश्व बैंक के वरिष्ठ मत्स्य उद्योग मानक विशेषज्ञ जूलियन मिलियन ने किया. एएफडी से मिस ऑर्फी सिलार्ड, श्रीमती निधि बत्रा, भारत सरकार से आइए सिद्धिकी, नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड (एनएफडीबी) से मसूम वहीद शामिल थे. इस भ्रमण का उद्देश्य प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएमएमकेएसवाइ) की प्रगति का मूल्यांकन करना और मत्स्य किसानों की आर्थिक स्थिति का आकलन करना था. टीम ने तिलैया डैम जलाशय में लगे केजों की संरचना, प्रबंधन, उत्पादन प्रणाली व किसानों की भागीदारी का गहन अवलोकन किया. इस दौरान टीम ने मत्स्य कृषकों से सीधा संवाद भी किया. किसानों ने अपनी चुनौतियां साझा करते हुए राज्य में स्थानीय स्तर पर उन्नत मत्स्य बीज उत्पादन इकाई व हाईटेक फीड निर्माण इकाई की आवश्यकता बतायी. किसानों का कहना था कि यह सुविधा मिलने से मत्स्य उत्पादकों को फायदा होगा. इससे उत्पादन लागत में कमी आयेगी, गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होगा और राज्य के मत्स्य क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा. टीम ने किसानों की मांगों को गंभीरता से सुना. उन्हें आश्वस्त किया कि इस दिशा में राज्य व केंद्र स्तर पर समन्वित प्रयास किये जायेंगे. अधिकारियों ने किसानों को आधुनिक तकनीकों के उपयोग, स्वच्छता, केज रखरखाव एवं संगठित विपणन प्रणाली के माध्यम से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिये मार्गदर्शन दिया. हजारीबाग की उपायुक्त नैंसी सहाय के नेतृत्व में जिला प्रशासन द्वारा योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, कृषक समन्वय व निगरानी तंत्र की टीम ने विशेष रूप से सराहना की. कहा कि उनके कुशल मार्गदर्शन में हजारीबाग मत्स्य पालन के क्षेत्र में अग्रणी जिलों में उभर कर सामने आ रहा है. प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि झारखंड में जलाशय आधारित मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं. यदि इन्हें वैज्ञानिक ढंग से संचालित किया जाये, तो यह ग्रामीण युवाओं के लिये एक स्थायी व लाभकारी स्वरोजगार का माध्यम बन सकता है. इस टीम के साथ उप मत्स्य निदेशक शंभु प्रसाद, संजय गुप्ता, डॉ प्रशांत कुमार दीपक, डॉ अनूप चौधरी एवं जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार मौजूद थे. यह गतिविधि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना एवं जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट योजना के अंतर्गत चिह्नित की गयी है, जिसके माध्यम से स्थानीय मत्स्य कृषकों को आर्थिक रूप से सशक्त एवं तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जा रहा है.

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