हजारीबाग. जिले में पिछले एक माह से हो रही लगातार बारिश ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है. 16 जून से प्रतिदिन औसतन 20 से 25 एमएम बारिश रिकॉर्ड की जा रही है. इससे खेतों में पानी भर गया है और अत्यधिक आर्द्रता बनी हुई है.
बारिश की वजह से मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, उरद, मूंग, कुल्थी जैसी दलहनी फसलें और मूंगफली की बुआई प्रभावित हुई है. कई प्रखंडों में अब तक मकई की बुआई भी शुरू नहीं हो सकी है. खेतों की जुताई नहीं हो पाने के कारण अधिकांश खेत बंजर पड़े हैं. खेतों में फसलों की जगह घास लहलहा रही है.कृषि विभाग ने इस वर्ष मक्के की बुआई का लक्ष्य 12,307 हेक्टेयर रखा था, लेकिन अब तक केवल 55.6 प्रतिशत भूमि पर ही बुआई हो पायी है. मक्का बुआई का उपयुक्त समय 15 जून से 15 जुलाई तक माना जाता है.
मूंग व कुल्थी की बुआई शुरू नहीं हुई
वहीं दलहन फसलों के लिए 31,700 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है. परंतु अब तक 200 हेक्टेयर में भी दलहन की बुआई नहीं हो सकी है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार अरहर, उरद व मूंगफली की बुआई का उचित समय भी 15 जून से 15 जुलाई के बीच होता है. मूंग और कुल्थी की बुआई अब तक शुरू नहीं हुई है.मोटे अनाज भी बोये नहीं जा सके हैं
3750 हेक्टेयर में बोये जानेवाले मोटे अनाज (मडुआ, बाजरा, ज्वार) में से अब तक केवल 69 हेक्टेयर में ही मडुआ की बुआई हो सकी है. लगातार बारिश के कारण बाजरा और ज्वार की खेती भी प्रभावित हुई है. आंगो गांव के किसान मोहन महतो ने बताया कि खेत और बारी में इस बार कोई फसल नहीं लग पायी है. यदि यही स्थिति रही तो किसानों पर आर्थिक संकट के साथ भुखमरी की नौबत आ सकती है.जिला कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की ने कहा
लगातार बारिश से खेती बाधित हुई है. मौसम साफ होते ही किसान खेतों में फसल लगाना शुरू करें. सरकार की ओर से मक्का, दलहन व मडुआ के बीज का वितरण किया गया है. यदि स्थिति को लेकर कोई दिशा-निर्देश आता है तो उसे तुरंत किसानों के बीच लागू किया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है