हजारीबाग. जैक द्वारा आयोजित मैट्रिक परीक्षा में चौपारण प्रखंड के जमुनियातरी गांव निवासी बिरहोर जनजाति की दो बेटियों ने इतिहास रचा है. किरण कुमारी (पिता रोहन बिरहोर) ने 80 प्रतिशत और चानवा कुमारी (पिता विष्णु बिरहोर) ने 66 प्रतिशत अंक प्राप्त कर प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होकर अपने समुदाय के लिए एक नयी उम्मीद जगायी है. दोनों छात्राएं कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, चौपारण की हैं. यह विद्यालय उनके लिए शिक्षा का मंदिर साबित हुआ, जिसने उन्हें अंधकार से उजाले की ओर ले गये. आदिम जनजाति बिरहोर की इन बेटियों की सफलता न सिर्फ उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए प्रेरणास्रोत बनी है.
आर्मी में जाकर देश की सेवा करना चाहती है किरण
छात्रा किरण कुमारी ने बताया कि वह 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद आर्मी में जाकर देश के सरहद की रक्षा करना चाहती है. किरण तीन बहनों में सबसे बड़ी है. उसने कहा कि बचपन में ही माता-पिता के गुजर जाने के बाद नाना बिशुन बिरहोर और मामा बिनोद बिरहोर ने दैनिक मजदूरी कर हमें पाल-पोसकर इस मुकाम तक पहुंचाया.डॉक्टर बनना चाहती है चानवा
चानवा कुमारी ने कहा कि वह डॉक्टर बनकर समाज और देश की सेवा करना चाहती है. चानवा चार भाई-बहनों में सबसे छोटी है. इससे बड़े दो भाई और एक बहन खेत में मजदूरी कर जीवनयापन चलाते हैं. कस्तूरबा की अच्छी पढ़ाई ने हमलोगों को आगे कुछ करने के योग्य बना दिया है.अपने समाज में बदलाव की अग्रदूत बनेंगी : डीसी
उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह ने दोनों छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की और कहा कि वे अपने समाज में बदलाव की अग्रदूत बनेंगी. बिरहोर जनजाति एक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) है, जो पारंपरिक रूप से खानाबदोश जीवनशैली अपनाता था. सरकार की विभिन्न योजनाओं के चलते वे शिक्षा और विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है