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बड़कागांव में हाथियों का आतंक: सात वर्षों में 14 मौतें

जिले के बड़कागांव वन क्षेत्र में हाथियों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है.

8bg 4में- बड़कागांव में हाथियों का झुंड संजय सागर हजारीबाग. जिले के बड़कागांव वन क्षेत्र में हाथियों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. 26 जून से 8 जुलाई 2025 तक 25 हाथियों का झुंड गोंदलपुर, बादम, हरली, नापोखुर्द और कांड़तरी पंचायतों के गांवों में उत्पात मचा रहा है. ग्रामीण भय और असुरक्षा के माहौल में जीने को मजबूर हैं. पिछले सात वर्षों में हाथियों के हमले से 14 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि दर्जनों मवेशी मारे गये हैं. करोड़ों रुपये की फसलें और घर भी नष्ट हो चुके हैं. नवंबर 2018 से शुरू हुई घटनाओं की शृंखला में सिमरा तरी निवासी तुलसी महतो, डोकाटांड़ के डीलू साव, पिपरवार के जगला मुंडा और मिर्जापुर के मोहम्मद हसीब की मौत हो चुकी है. 2019 में सुगन राजवार और जागो गंजू, 2021 में रोगन गंजू, चेतलाल साव और बंधनी मोसोमात की जान गयी. 2024 में उरुब गांव में एक ही परिवार के तीन सदस्यों को हाथियों ने कुचल दिया. अप्रैल 2025 में अंबेडकर मोहल्ला निवासी 71 वर्षीय रोहिणी देवी की भी जंगल में महुआ चुनते समय मौत हो गयी. वन विभाग के अनुसार, हाथियों का पारंपरिक कॉरिडोर गाली ब्लोदर, गोंदलपुरा, जोरा काठ, चरही, चुरचू, शीला जंगल, केरेडारी, हेन्डेगीर, इसको इंदिरा और महोदी पहाड़ जैसे क्षेत्रों से होकर गुजरता हैय जंगलों की अंधाधुंध कटाई और मानवीय अतिक्रमण के कारण हाथी भोजन और पानी की तलाश में गांवों की ओर आ रहे हैं. वन विभाग ने बताया कि मृतकों के परिजनों को चार लाख, गंभीर रूप से घायलों को एक लाख और सामान्य घायलों को 15,000 मुआवजा देने का प्रावधान है. साथ ही ग्रामीणों से अपील की गयी है कि वे हाथियों को न छेड़ें और उन्हें शांतिपूर्वक निकलने दें.

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