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खुले आकाश के नीचे पड़ी हैं बुद्ध की सैकड़ों मूर्तियां

सत्य, अहिंसा, करुणा और शांति के प्रवर्तक महात्मा गौतम बुद्ध की दर्जनों मूर्तियां और बौद्ध स्थल प्रशासनिक देखरेख के अभाव में संकट में हैं.

बड़कागांव. सत्य, अहिंसा, करुणा और शांति के प्रवर्तक महात्मा गौतम बुद्ध की दर्जनों मूर्तियां और बौद्ध स्थल प्रशासनिक देखरेख के अभाव में संकट में हैं. भगवान बुद्ध की सैकड़ों मूर्तियां खुले आसमान के नीचे पड़ी हैं, जिन्हें कभी भी चोर ले जा सकते हैं. बड़कागांव के पंकरी बरवाडीह स्थित बौद्ध स्तूप देखरेख के अभाव में जर्जर होता जा रहा है. इन स्थलों को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान बुद्ध का हजारीबाग से विशेष लगाव रहा होगा. झारखंड को बौद्ध काल के रूप में भी जाना जाता है. चतरा का इटखोरी इसका बड़ा उदाहरण है. उसी तरह हजारीबाग में भी गौतम बुद्ध के कई अवशेष नजर आते हैं. हजारीबाग जिले के बहरोहनपुर में भी गौतम बुद्ध की मूर्तियां मिली हैं.

बड़कागांव के कई स्थानों में बुद्ध की मूर्तियां

बड़कागांव प्रखंड के पंकरी बरवाडीह और आसपास के क्षेत्र में भगवान बुद्ध की मूर्तियां मिली हैं. पंकरी बरवाडीह के पूरब दिशा में बौद्ध स्तूप है, जिसे अब पांच पांडव पहाड़ कहा जाता है. यह स्तूप राजगीर के बौद्ध स्तूप से मिलता-जुलता है, हालांकि यह उससे छोटा है. यहां भगवान बुद्ध की सैकड़ों मूर्तियां बिखरी पड़ी हैं. कई मूर्तियों को एक जगह सजाकर रखा गया है. बड़कागांव मध्य पंचायत के पंडित मोहल्ला स्थित शिव मंदिर में एक प्रतिमा है, जो भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा जैसी दिखती है. हालांकि लोग इसे भगवान भोलेनाथ की मूर्ति मानकर पूजा-अर्चना करते हैं. बड़कागांव के गोंदलपुरा पंचायत में भी गौतम बुद्ध की दर्जनों मूर्तियां हैं. यहां इन मूर्तियों को लोग गांवट के नाम पर पूजते हैं.

यहां गौतम बुद्ध का ऐतिहासिक संदर्भ छुपा है

जुलाई 2003 में बारिश नहीं होने के कारण बरवाडीह के ग्रामीणों ने पांच पांडव पहाड़ पर गौतम बुद्ध की मूर्तियों को पांडवों की मूर्ति समझकर पूजा-अर्चना की. इस दौरान किसानों ने बारिश होने की कामना की. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर हजारीबाग के बहरोहनपुर की तरह यहां भी खुदाई की जाये, तो गौतम बुद्ध के अवशेष और अधिक मिल सकते हैं. लोगों का मानना है कि इस स्थल पर गौतम बुद्ध का ऐतिहासिक संदर्भ छुपा हुआ है, जिसे समझने के लिए खुदाई की आवश्यकता है.

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