बड़कागांव. बड़कागांव वन क्षेत्र के विभिन्न जंगलों के निकट कोयले का अवैध उत्खनन जोरों पर हो रहा है, जिससे सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है. कोयला माफिया मालामाल हो रहे हैं. गत वर्ष वन विभाग द्वारा अवैध खदानों को जेसीबी की मदद से भरा गया था, लेकिन माफिया नयी खदानें बना लेते हैं. कोयले के उत्खनन से पेड़-पौधे और वन्य जीव नष्ट हो रहे हैं. बड़कागांव के लौकरा चंदौल खदान से खुलेआम कोयला निकाला जा रहा है.
बैलगाड़ी व ट्रैक्टर से हो रही कोयले की ढुलाई
हथिया पत्थर, इंदिरा जंगल, तिलैया लूंरगा, चानो, रिकवा कुरहा, खपिया, पसरिया, मलडीह घाटी, कुंदरू, पलान्डु, पोटंगा, गोंदलपुरा, अम्बा झरना, राउत पारा, भेलवा, टोंगरी, गोबदातरी, रुद्दी, कर्माटांड़ समेत कई स्थानों पर दर्जनों कोयला खदान संचालित हैं. इन खदानों से प्रति बैलगाड़ी 1000 से 1300 रुपये और प्रति ट्रैक्टर 6000 रुपये में कोयले की बिक्री हो रही है. कई खदान सुरंगनुमा गुफा का रूप ले चुकी हैं, तो कई अत्यंत जर्जर हालत में हैं. मजदूर जान जोखिम में डालकर इन खदानों में काम कर रहे हैं, जो कभी भी ढह सकती हैं. इस संबंध में पूछने पर बड़कागांव वन क्षेत्र के रेंजर कमलेश सिंह ने बताया कि वह पूजा में व्यस्त हैं, बाद में जानकारी देंगे. प्रभारी फॉरेस्टर अजय कुमार यादव ने अवैध कोयला खदानों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई और उनकी भराई का आश्वासन दिया.जनवरी में दो मजदूरों की मौत हुई थी
बड़कागांव वन क्षेत्र के लुरंगा गांव में 19 जनवरी 2025 को अवैध कोयला खदान में चाल धंसने से दो मजदूरों की मौत हो गयी थी. मृतकों में राहुल कुमार और रवि कुमार शामिल थे. लुरंगा में 30 से अधिक अवैध कोयला खदानें हैं, जो बड़कागांव थाना क्षेत्र के उरीमारी ओपी क्षेत्र में आती हैं. इन खदानों से चुरचू, चरही, गिद्दी, रामगढ़ होते हुए ट्रैक्टर व ट्रकों से कोयला बाहर भेजा जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है