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पानी और रोड की समस्या से जूझ रहे है लोग

प्रखंड के डुमर खैरिका आदिवासी टोला में बुधवार को प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान ग्रामीणों ने खुलकर अपने क्षेत्र की समस्या को रखा.

टाटीझरिया. प्रखंड के डुमर खैरिका आदिवासी टोला में बुधवार को प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान ग्रामीणों ने खुलकर अपने क्षेत्र की समस्या को रखा. गांव के लोग आज भी मूलभूत समस्याओं से वंचित हैं. टोले में 25 घर हैं, जिसमें कुल आबादी लगभग 200 है. यहां सभी आदिवासी लोग निवास करते हैं. इस टोले में लगी एकमात्र जलमीनार चालू हालत में नहीं है. लोगों के घरों तक पाइप लगा हुआ है, पर पानी की सप्लाई नहीं हो रही है. लोग चापानल और कुएं से पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं. खैरिका आदिवासी टोला से प्रतिदिन कई बच्चे पढ़ने के लिए डुमर और धर्मपुर स्कूल जाते हैं. भंडरेनिया नदी पर पुल बीच में टूटा होने के कारण बच्चे एक हाथ में कॉपी व एक हाथ में चप्पल लेकर नदी पार कर स्कूल जाते हैं. बरसात के दिनों में नदी का पानी उफान पर रहता है, जिससे खतरा बढ़ा रहता है. इधर, गांव को जोड़ने वाली सड़क भी पक्की नहीं है. केवल मिट्टी-मोरम कर छोड़ दिया गया है. लोग जंगल के रास्ते होकर प्रखंड मुख्यालय पहुंचते हैं.

जलमीनार खराब होने से पेयजल समस्या : हीराचंद बास्के

हीराचंद बास्के ने कहा कि इस टोले में एकमात्र जलमीनार लगा है, जो कई माह से खराब पड़ा है. पानी घरों तक नहीं पहुँच रहा है. जलमीनार के पास पानी का पाइप टूट चुका है. पानी लीकेज भी हो रहा है.

पक्की सड़क नहीं होने से परेशानी: महतो मांझी

48 वर्षीय महतो मांझी ने कहा कि मुख्य सड़क को जोड़ने के लिए हमलोगों के गाँव से अभी तक पक्की सड़क नहीं बन पाई है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. केवल मिट्टी-मोरम कर छोड़ दिया गया है. बरसात में सड़क कीचड़ से भर जाती है.

पुल टूटे होने से बच्चों को परेशानी: छोटेलाल मांझी

डुमर-खैरिका आदिवासी टोला को जोड़ने वाली सड़क के बीच पड़ने वाली भंडरेनिया नदी पर पुल कई साल से टूटा हुआ है. यहाँ के बच्चे इसी रास्ते से पढ़ने जाते हैं. नदी में उतरकर उस पार बच्चों को जाना पड़ता है. बरसात में नदी का पानी उफान पर रहता है. इस वजह से बच्चे कई दिनों तक स्कूल नहीं जा पाते, उनकी पढ़ाई रोकनी पड़ती है.

मिट्टी के घर में ही जीवन यापन करते हैं: सुनीता देवी

सुनीता देवी ने बताया कि इस टोले में कई लोगों को पक्का मकान मिला है और बहुत लोग अभी भी मिट्टी के घर में रह रहे हैं. सरकार हमलोगों के लिए अबुआ आवास दे रही है, पर दुर्भाग्य से हमलोगों को अभी तक आवास नहीं मिला. मेरा नाम लिस्ट में रहने के बावजूद अभी तक आवास नहीं मिला है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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