हजारीबाग. हजारीबाग रामनवमी मंगला जुलूस के दौरान पथराव की घटना ने जिला प्रशासन की क्षमता पर सवाल खड़ा किया है. हाल के तीन महीनों से सदर एसडीओ जैसा महत्वपूर्ण पद खाली है, जिससे प्रशासन की स्थिरता और विधि व्यवस्था बहाल करने को लेकर समस्याएं खड़ी हो गयी हैं. इसका प्रभाव रामनवमी मंगला जुलूस में देखने को मिला. पुलिस प्रशासन का नेतृत्व बिना स्थायी अधिकारी की अनुपस्थिति में किया गया. 25 मार्च की देर रात हजारीबाग की सड़कों पर उपद्रवियों द्वारा पत्थरबाजी और तोड़फोड़ की गयी. कई दुकानों को भी नुकसान हुआ है.
तीन माह से प्रभावी एसडीओ के सहारे विधि व्यवस्था :
हजारीबाग शहर की पहचान काफी संवदेनशील टाउन के रूप में होती है. इस शहर में कई बार सांप्रदायिक तनाव हुए हैं. इसके बाद भी सरकार ने स्थायी एसडीओ का पदस्थापन नहीं किया है. अभी तक तीन माह में तीन प्रभारी एसडीओ से काम लिया गया है. एसडीओ अशोक कुमार को पत्नी को जला कर मारने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. तब से हजारीबाग सदर अनुमंडल में एसडीओ का पद खाली है. कुछ दिनों के लिए भू सुधार पदाधिकारी राज किशोर को एसडीओ का प्रभार दिया गया. इसके बाद प्रशिक्षु आइएएस लोकेश बारंगे ने इस पद को संभाला. अब डीडीओ बैद्यनाथ कामती को अनुमंडल पदाधिकारी का प्रभार दिया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है