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डेमोटांड़ में तैयार चाय का आनंद जल्द ही मिलेगा

हजारीबाग डेमोटांड़ भूमि संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र में चाय की खेती एक नयी पहचान बना रही है.

अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस स्पेशल डेमोटांड़ भूमि संरक्षण केंद्र में 15 एकड़ में लगे चाय के पौधे लहलहा रहे हैं चाय की खेती करने के लिये झारखंड के किसानों को दिया जाता है प्रतिवर्ष प्रशिक्षण 20 हैज 101 मे- भूमि संरक्षण अनुसंधान एंव प्रशिक्षण केंद्र मे लगे चाय का बगान शंकर प्रसाद हजारीबाग. हजारीबाग डेमोटांड़ भूमि संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र में चाय की खेती एक नयी पहचान बना रही है. वर्तमान में इस केंद्र में 15 एकड़ भूमि पर चाय की खेती लहलहा रही है. जल्द ही हजारीबागवासी डेमोटांड़ की कड़क चाय का स्वाद लेंगे. हजारीबाग की जलवायु व मिट्टी चाय के लिये उपयुक्त माना जा रहा है. ब्रिटिश शासनकाल में सीतागढ़ा व आसपास के क्षेत्रों में चाय की खेती अंग्रेज करवाते थे. दो वर्ष बाद हजारीबाग डेमोटांड़ में तैयार चाय का स्वाद यहां के लोगों को मिलेगा. 20 वर्ष पूर्व इस केंद्र में तीन एकड़ भूमि में चाय की खेती की गयी थी. इस बगान से चाय की पत्तियों को तोड़कर मैन्यूवल तरीके से तैयार की जाती है. डेमोटांड़ कृषि पर्यटन केंद्र में घूमने आनेवाले लोगों को यहां की तैयार चाय बेची जाती है. अब केंद्र के 12 एकड़ भूमि में दो वर्ष पूर्व बृहद पैमाने पर चाय के पौधे को लगाया गया है. इस चाय के पौधे को तैयार होने में अब लगभग दो वर्ष और लगेगा. इसके बाद यहां की चायपत्ती बाजार में या स्थानीय बेची जाने की योजना है. उत्तम किस्म का पौधा लगाया गया है इस केंद्र मे उत्तम किस्म की चाय का पौधा को लगाया गया है. चाय का प्रभेद टीवी 25, 26 और 29 लगाया गया है. डेमोटांड़ में लगी चाय की खेती को प्रतिवर्ष 20 हजार से अधिक पर्यटक देखने आते हैं. चाय के बगान में चाय के पौधे को छाया के लिये कतारबद्ध छायादार वृक्ष लगाया गया है. चाय की खेती के लिये किसानो को दिया जाता है प्रशिक्षण झारखंड में चाय की खेती करने के लिये प्रति वर्ष किसानों को केंद्र में प्रशिक्षण दिया जाता है. चाय से होनेवाले आय की भी जानकारी दी जाती है. चाय लगाने की विधि का भी प्रशिक्षण दिया जाता है. केंद्र के अधिकारियों के अनुसार कृषि विभाग द्वारा किसानों को नि:शुल्क आवासीय प्रशिक्षण दिया जाता है. कृषि विशेषज्ञों से कृषकों को प्रशिक्षण दिया जाता है. क्या कहते केंद्र उपमुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जैसमीन उपमुख्य कार्यपालक पदाधिकारी विकाश कुमार ने कहा कि इस केंद्र की भूमि पर लगाये गये चाय के पौधे उत्तम किस्म के हैं. यहां 20 वर्ष पूर्व तीन एकड़ भूमि पर चाय का पौघा लगाया गया है. 2022 में विस्तार कर 12 एकड़ भूमि पर चाय के पौधे को लगाया गया है. उन्होंने कहा कि 2026 तक चाय की पत्तियां तैयार होने लगेगी. केंद्र मे लगे यूनिट से चाय तैयार की जायेगी. झारखंड की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की केंद्र मे आकर यहां के चाय बगान को देखा. लहलहाते चाय बगान को देखकर कृषि मंत्री ने प्रशंसा की थी.

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