हजारीबाग. विनोबा भावे विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 के तहत एक नये शैक्षणिक युग की शुरुआत कर रहा है. स्नातक सेमेस्टर-पांच के विद्यार्थी, जो एनइपी 2020 के पहले बैच के हैं, पहली बार लघु शोध प्रबंध (डिसर्टेशन) तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल हो रहे हैं. यह कदम विद्यार्थियों के लिए एक नया और महत्वपूर्ण शैक्षणिक अनुभव है.
एनइपी 2020 और शोध कार्य की शुरुआत
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, जिसे भारत की शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से लागू किया गया है, विश्वविद्यालय की पहचान शोध कार्य से जोड़ती है. इस नीति के तहत स्नातक स्तर पर ही विद्यार्थियों को शोध कार्य में शामिल करने का प्रावधान है, ताकि वे अनुसंधान, विश्लेषण और नवाचार की बुनियादी समझ विकसित कर सकें. विनोबा भावे विश्वविद्यालय ने अपने स्नातक पाठ्यक्रमों में लघु शोध प्रबंध को अनिवार्य बनाया है. स्नातक सेमेस्टर पांच का यह बैच एनइपी 2020 के तहत पहला बैच है, जो इस शोध-आधारित प्रक्रिया में भाग ले रहा है. यह उनके लिए विषय चयन, डेटा संग्रह, विश्लेषण और निष्कर्ष लेखन का अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है.प्रोजेक्ट मेंटर्स की भूमिका
विद्यार्थियों को लघु शोध प्रबंध को सुचारू रूप से पूरा कराने के लिए प्रत्येक विद्यार्थी के लिए प्रोजेक्ट मेंटर नियुक्त किया गया है. ये मेंटर्स कॉलेजों के शिक्षक हैं, जो उन्हें शोध कार्य की प्रक्रिया को समझने और लेखन के मानकों का पालन करने में सहायता कर रहे हैं.एनइपी 2020 का व्यापक प्रभाव
शैक्षणिक विशेषज्ञों का मानना है कि स्नातक स्तर पर शोध कार्य की शुरुआत न केवल विद्यार्थियों, बल्कि पूरे शैक्षणिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है. यह विद्यार्थियों में अनुसंधान को बढ़ावा देने और शैक्षणिक परिदृश्य में नवाचार की दिशा में एक सकारात्मक कदम है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है