Jamshedpur news.
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि भाजपा ने झारखंड में आदिवासी परामर्शदातृ समिति (टीएसी) की बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. टीएसी का गठन सदैव राज्यपाल के संरक्षण में करने की परंपरा रही है, जिसे इस राज्य सरकार ने तोड़ दिया है. कहने को तो यह संस्था आदिवासियों के हित में निर्णय लेकर, सरकार को परामर्श देने के लिए बनी है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में टीएसी की बैठकों का कुछ खास परिणाम नहीं दिख रहा है. टीएसी में सरकार के पास बहुमत है, लेकिन फिर भी कई वर्षों से पेसा समेत आदिवासी समाज के कई मामलों का फंसे रहना इस सरकार के ढुलमुल रवैये को दर्शाता है. श्री सोरेन ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि टीएसी की आहूत बैठक में पहला मुद्दा आदिवासी बहुल गांवों में शराब की दुकानें एवं बार खोलने का लाइसेंस देने का है. अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत ही उन्होंने नशा-विरोधी मुहिम से की थी और जिस बैठक में झारखंड की युवा पीढ़ी को नशे के दलदल में धकेलने के दस्तावेजों पर मुहर लगाई जा रही हो, उसमें शामिल होना, उनके लिए संभव नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है