Jamshedpur news.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कांग्रेस पार्टी की ओर से आयोजित ‘संविधान बचाओ रैली’ को एक राजनीतिक नाटक करार देते हुए इसे जनता को गुमराह करने का प्रयास बताया. उन्होंने कहा कि जिनके हाथों संविधान को सबसे अधिक क्षति पहुंची, वे आज संविधान की दुहाई देकर देश की जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं. एग्रीको स्थित आवासीय कार्यालय में मंगलवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय 1975 की आपातकाल की याद दिलाते हुए रघुवर दास ने कहा कि उस समय कांग्रेस पार्टी ने अपनी सत्ता बचाने के लिए संविधान में संशोधन कर हजारों नागरिकों को नजरबंद कर दिया था. अनुच्छेद 14, 21 और 32 जैसे मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया. प्रेस पर सेंसरशिप लगायी गयी और बिना किसी कारण बताये गिरफ्तारियां की गयीं. वे खुद उस दौर के गवाह हैं और गया सेंट्रल जेल में बंद रहे. तब कांग्रेस को संविधान की याद क्यों नहीं आयी. श्री दास ने कांग्रेस पर डॉ भीमराव आंबेडकर का अपमान करने का भी आरोप लगाया. धर्मांतरण के मुद्दे पर बोलते हुए पूर्व सीएम रघुवर दास ने कहा कि संविधान में स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति लालच, भ्रम या दबाव के माध्यम से धर्म परिवर्तन नहीं कर सकता और यदि आवश्यकता पड़ी, तो राज्य सरकार इस पर कानून बना सकती है. भाजपा ने यही किया और धर्मांतरण निषेध कानून लाया. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसके समर्थन से चल रही सरकार में झारखंड में तेजी से धर्मांतरण हो रहा है, जिससे आदिवासी समाज के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अगर वास्तव में संविधान की चिंता है, तो वह धर्मांतरण कानून को सख्ती से लागू करवाये. इसके साथ ही उन्होंने झारखंड के मंत्री के बयान पर भी निशाना साधा, जिसमें उन्होंने अपने लिए शरीयत को पहले और संविधान को बाद में बताया था. रघुवर दास ने पूछा कि कांग्रेस के लिए शरीयत बड़ी है या संविधान?. उन्होंने मांग की कि अगर कांग्रेस संविधान को सर्वोपरि मानती है, तो ऐसे मंत्री को तुरंत बर्खास्त करें, अन्यथा सरकार से अपना समर्थन वापस ले.रघुवर दास ने कहा कि आज झारखंड में दो टोपियों का दबदबा बढ़ता जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में अब 10 क्रिश्चियन विधायक और दो सांसद हो चुके हैं, जो अवैध धर्मांतरण और घुसपैठ का परिणाम है. उन्होंने सरकार से पूछा कि वह पेसा कानून को लागू क्यों नहीं कर रही, जबकि यह संविधान की पांचवीं अनुसूची में शामिल है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है