Jamshedpur news.
बिना सूचना दिये बिहार में समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने के आरोप में पूर्व सिविल सर्जन डॉ एके लाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. इस मामले को जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने झारखंड विधानसभा में उठाया था. इसके बाद झारखंड सरकार ने 31 मार्च 2022 को तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ एके लाल को बर्खास्त कर दिया. इस दौरान डॉ एके लाल ने कार्रवाई को गलत और एकतरफा बताते हुए हाइकोर्ट चले गये थे. वहां पर सिंगल और डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई, जहां पर दोनों ही बेंच ने डॉ एके लाल के पक्ष में फैसला सुनाया था. वहीं इसके विरोध में झारखंड सरकार ने एसएलपी सुप्रीम कोर्ट गयी थी, जहां पर इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को याचिका खारिज कर दी. इससे डॉ एके लाल को बड़ी राहत मिली है. फैसला आने के बाद डॉ एके लाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें न्याय मिली है. झारखंड सरकार ने एकतरफा कार्रवाई की थी. उनकी बातों को नहीं सुनी गयी. अब डॉ लाल रिटायर्ड हो चुके हैं. ऐसे में उनको रिटायर्ड होने के बाद मिलने वाली सुविधाएं जैसे पेंशन सहित अन्य का लाभ उन्हें मिल सकेगा.2005 में बन्ना गुप्ता एवं डॉ एके लाल ने लड़ा था चुनाव
विधायक सरयू राय ने इस मामले को उठाते हुए कहा था कि जमशेदपुर के डॉ एके लाल एवं पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता ने वर्ष 2005 में एक ही पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ा था. डॉ एके लाल बिहार के 80-झंझारपुर विधान सभा सीट से चुनाव लड़ा था. वहीं बन्ना गुप्ता उसी वर्ष 49-जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा से प्रत्याशी थे. इससे स्पष्ट है कि तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का अधिकारी से पुराना राजनीतिक संबंध है. इसी वजह से तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री न केवल उक्त अधिकारी का बचाव करते रहे हैं, बल्कि उन्हें पदोन्नत एवं प्रोत्साहित भी करते रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है