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Jamshedpur news. हर सात सेकेंड में एक नवजात की होती है मौत, जिसे समय रहते बचाया जा सकता है : डॉ प्रीति श्रीवास्तव

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष

Jamshedpur news.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति वर्ष लगभग तीन लाख महिलाओं की जान गर्भावस्था या प्रसव के दौरान आने वाली जटिलताओं के कारण चली जाती है. वहीं 20 लाख से अधिक नवजात शिशु अपने जीवन के पहले ही महीने में दम तोड़ देते हैं, वहीं लगभग 20 लाख शिशु मृत अवस्था में जन्म लेते हैं. यानी हर सात सेकंड में एक ऐसी जान जाती है, जिसे समय रहते बचाया जा सकता है. इससे पता चलता है कि मातृ और नवजात स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त और सुलभ बनाना समय की सख्त जरूरत है. उक्त बातें डॉ प्रीति श्रीवास्तव (सीनियर कंसल्टेंट, मेडिकल इंडोर सर्विसेज, टाटा मेन हॉस्पिटल) ने कही.

डॉ प्रीति श्रीवास्तव के अनुसार स्वास्थ्य शुरूआत, आशाजनक भविष्य अभियान का मकसद सिर्फ जागरूकता फैलाना नहीं, बल्कि एक ऐसी सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना है, जो माताओं और नवजात शिशुओं के जीवन को बेहतर बना सके. यह अभियान प्रभावी नीतियों, संसाधनों और निवेश के माध्यम से एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील करता है. स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य इस बात पर जोर देता है कि जीवन की शुरुआत में मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाएं पूरे जीवन के सुखद और स्वस्थ भविष्य की नींव रखती हैं. इस सफर में स्त्री रोग विशेषज्ञों की भूमिका नींव जैसी होती है. वे न सिर्फ मां के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं, बल्कि भ्रूण के सुरक्षित और स्वस्थ विकास को भी सुनिश्चित करते हैं. गर्भधारण से पहले की काउंसलिंग, गर्भावस्था के दौरान देखभाल और सुरक्षित प्रसव की दिशा में उनका योगदान मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के साथ-साथ संपूर्ण परिवार के बेहतर स्वास्थ्य भविष्य की राह तैयार करता है. बच्चे का जन्म के साथ ही उसके सेहत की देखभाल बाल रोग विशेषज्ञों के हाथों में आ जाती है. वे यह सुनिश्चित करते हैं कि नवजात शिशुओं और बच्चों को विकास के हर चरण पर आवश्यक चिकित्सकीय देखभाल मिले. इससे न केवल बच्चे को बीमारियों से बचाया जा सके. एक स्वस्थ शुरुआत ही आशाजनक भविष्य की नींव रखती है. डॉ प्रीति श्रीवास्तव ने कहा कि समाज के विभिन्न स्तरों पर समन्वय और सहयोग यह सुनिश्चित करता है कि गर्भधारण सुरक्षित हो, नवजात को सर्वोत्तम देखभाल मिले और बच्चों का समग्र विकास हो सके.

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