Fathers Day Special : झारखंड के पहले स्वास्थ्य मंत्री रहे डॉ दिनेश षाड़ंगी भले ही आज राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, लेकिन उनके पुत्र कुणाल षाड़ंगी उनके जनसेवा के सपनों को पूरा कर रहे हैं. कुणाल षाड़ंगी ने बताया कि उनके पिता ने हमेशा उन्हें हमेशा स्पोर्ट और मार्गदर्शन किया. यही कारण था कि पिता का ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद वे लंदन की लग्जरी लाइफ छोड़ बहरागोड़ा चले आये. राजनीति की विरासत उन्हें उनके पापा डॉ दिनेश षाड़ंगी से मिली, जिन्होंने मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद समाजसेवा के लिए राजनीति को चुना.
Fathers Day Special : डॉ दिनेश षाड़ंगी को बेटे पर है फख्र
डॉ दिनेश षाड़ंगी ने कहा कि उन्हें फख्र है कि कुणाल मूल्य आधारित राजनीति को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. हमेशा उसे समझाया कि कभी भी भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं करना है. सेवा के माध्यम से जनता के साथ जो संबंध बनता है, उसकी कोई कीमत नहीं होती है. मालूम हो 2014 में झामुमो के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़कर कुणाल विधायक बने थे. इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गये. लेकिन, 2024 में उन्होंने फिर से झामुमो का दामन थाम लिया और उन्हें केंद्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी गयी.
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अमेरिका के प्रतिष्ठित कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं कुणाल
29 साल की आयु में बहरागोड़ा से विधायक बने कुणाल ने यूके से एमबीए की पढ़ाई की है, जबकि स्कूली शिक्षा बहरागोड़ा के सरकारी स्कूलों से और बाद में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी), जमशेदपुर से स्नातक किया. कुणाल ब्रिटिश युवा आयोग द्वारा 2016 में ग्रेट ब्रिटेन के अध्ययन दौरे के लिए चुने गए और 12 भारतीय युवा राजनीतिक नेताओं में से एक थे. वे अमेरिका सरकार के सबसे बड़े प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में एक इंटरनेशनल विजटरर्स लीडरशिप प्रोग्राम में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. टीम में भारत के आठ युवा राजनीतिज्ञ थे, जिसमें झारखंड से इकलौते कुणाल शामिल थे.
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