जमशेदपुर. ललित नारायण मिश्र सामाजिक एवं सांस्कृतिक कल्याण समिति के दो दिवसीय मिथिला महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को टाउन हॉल सिदगोड़ा में मैथिली गीत-संगीत की धूम रही. नेपाल के नवीन मिश्रा के निर्देशन में झिझिया, सामा-चकेवा, जट-जटिन जैसे भावपूर्ण लोकनृत्य की प्रस्तुति हुई. हर गीत और नृत्य मिथिला की संस्कृति को बयां कर रहा था. रंजना झा ने विद्यापति गीतों की प्रस्तुति दी. मीनाक्षी ठाकुर ने एक से बढ़कर एक लोकगीत पेश किया. दिलीप दरभंगिया ने भी कई मैथिली गीतों से वाहवाही लूटी. डेजी ठाकुर और शंकर नाथ झा ने भी कई गीत पेश किये, जिससे मिथिला की संस्कृति की खुशबू से सभागार सुगंधित हो गया. सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन आशुतोष झा ने किया.
स्वस्तिवाचन से हुआ श्रीगणेश
सुधानंद झा आचार्य के स्वस्तिवाचन से कार्यक्रम शुरू हुआ. डेजी ठाकुर के नेतृत्व में महिलाओं ने भगवती गीत जय जय भैरवी की प्रस्तुति दी. इस दौरान स्व. ललित नारायण मिश्र के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी. जयचंद्र झा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. नवकांत झा ने स्वागत भाषण दिया. डॉ अशोक अविचल ने कार्यक्रम का संचालन किया. शंकर पाठक ने धन्यवाद ज्ञापन किया. मौके पर विधायक मंगल कालिंदी व अन्य मौजूद रहे.मिला सम्मान
मौके पर डॉ अजय झा, डॉ रवींद्र कुमार चौधरी, शिशिर मिश्रा, कौशलेंद्र दास, अजीत सिंह, मैथिली मंच रांची के पदाधिकारीगण व अन्य को सम्मानित किया गया. साथ ही सभी अतिथियों को पाग और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया.पुस्तकों व कलाओं की प्रदर्शनी ने किया आकर्षित
सभागार में जहां कार्यक्रम चल रहा था, वहीं बाहर मैथिली पुस्तकों, सिक्की-मौनी कला, मधुबनी पेंटिंग के कई स्टॉल सजे थे. विद्यापति के गीत, गोनू झाक खिस्सा, कथा संग्रह कांचहि बांस, पापा आब ऐना नहि करब जैसी पुस्तकों पर लोगों की नजरें गयीं. स्टॉल में मिथिला लोक संस्कृति से संबंधित चीजें मिल रही थीं. इसके अलावा आनंद मेले में कई प्रकार के मिथिला व्यंजन के स्टॉल थे, जहां मछली और मखाना के कई व्यंजन थे. कचरी, शकरौली, मखाना की खीर आदि मिल रहे थे.नियोजन नीति में मिथिला को मिले स्थान : रघुवर
मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि नियोजन नीति में मिथिला को स्थान मिलना चाहिए. उन्होंने मैथिली अकादमी गठन करने की भी मांग की. कहा कि मिथिला में ज्ञान और कलाओं का भंडार है. राज्य सरकार को कला और संस्कृति के संवर्धन के लिए आयोग बनना चाहिए. रघुवर दास ने कहा कि उनकी सरकार में मिथिला को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया गया. जबकि इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस भाषा को अष्टम सूची में स्थान देने का काम किया. उसी प्रकार नरेंद्र मोदी सरकार ने मखाना को उद्योग के रूप स्थापित करवाया. श्री दास ने कहा कि अब मैथिली में तकनीकी पर भी लिखने की जरूरत है. ऐसा होने से अगली पीढ़ी तकनीकी से अवगत हो सकेगी. स्व. ललित बाबू के पौत्र सुमित मिश्र ने ललित बाबू के राजनीतिक सफर पर प्रकाश डाला.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है