Jamshedpur news.
झामुमो द्वारा झारखंड के सभी जिला मुख्यालयों में सरना धर्म कोड की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन करना आदिवासी समाज को दिग्भ्रमित करने वाला प्रतीत होता है. यह बातें शुक्रवार को आदिवासी सेंगेल अभियान के केंद्रीय संयोजक सोनाराम सोरेन ने करनडीह में आयोजित एक बैठक में कही. उन्होंने कहा कि प्रकृति पूजक आदिवासी लंबे समय से सरना धर्म कोड को लागू करने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन झामुमो ने कभी भी उनकी मांगों को समर्थन नहीं किया है. यदि झामुमो सही मायने में आदिवासियों का हित चाहता है, तो राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संताली भाषा को आदिवासी बहुल प्रदेश झारखंड में अनुच्छेद 345 के तहत प्रथम राजभाषा का दर्जा दे. साथ ही झारखंड में अविलंब स्थानीय नीति को लागू करे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है