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Jamshedpur : सुपर फूड सत्तू, प्रेम से बोलिए सत्तू महाराज की जय

सत्तू स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभरा है

जमशेदपुर. सत्तू को स्वास्थ्य के लिए वरदान माना गया है. इसमें फाइवर के साथ कई मिनरल्स हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक हैं. चने के सत्तू को प्राय: पेय के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है. वैसे सात अनाज के आटे के मेल से सत्तू बनता है. तभी तो इसका नाम सत्तू पड़ा. इसकी महत्ता को बताने के लिए हमारे यहां सतुआन पर्व भी मनाया जाता है. 14 अप्रैल को लोग इसे अपनी-अपनी परंपरानुसार मनाएंगे. हमारे ऋषि-मुनियों ने भी सत्तू का उपयोग तपस्या के दौरान शरीर में ऊर्जा बनाए रखने के लिए किया. ऐसे में इसकी महत्ता का ख्याल बाजार को भी है. तभी तो बाजार में रेडी टू ड्रिंक सत्तू आ गया है. यह आधुनिक जीवनशैली में स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभरा है. कम लागत और आसानी से उपलब्धता के कारण सत्तू अब हर वर्ग के लोगों में सुपर फूड के तौर पर पहचान बना रहा है. सब सत्तू महाराज के गुण गा रहे हैं और जय कर रहे हैं.

गर्मी में 80 प्रतिशत तक बढ़ जाती है मांग

वैसे तो सत्तू का बारहो महीने सेवन किया जाता है, लेकिन गर्मी में इसकी डिमांड बढ़ जाती है. गर्मी में प्राय: घर में सत्तू जरूर मिल जाता है. गर्मी में नाश्ते की जगह अधिकतर लोग सत्तू पीना पसंद करते हैं. एक तो यह रेडीमेड आइटम की तरह है. अलग से कुछ काटने पकाने की जरूरत नहीं पड़ती. दूसरा, सेहत के दृष्टिकोण से भी काफी फायदेमंद होता है. साकची बाजार में वर्ष 1994 से चक्की का काम कर रहे सत्यनारायण अग्रवाल बताते हैं कि सामान्य दिनों की तुलना में गर्मी में सत्तू की 80 प्रतिशत तक मांग बढ़ जाती है. वे अपनी दुकान से प्रत्येक दिन कम-से-कम 40 किलोग्राम सत्तू बिक्री कर लेते हैं. इस समय बाजार में 120 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से चने का सत्तू मिल रहा है.

सत्तू शरबत की दुकानों पर जुटती है भीड़

सत्तू शरबत दुकान में भी गर्मी में ग्राहकों की संख्या बढ़ जाती है. गर्मी में लोग तली-भुनी चीजें खाने के बदले सत्तू पीना बेहतर समझते हैं. सेहत के लिए अच्छा होने के साथ-साथ इसे पीने में ज्यादा वक्त भी नहीं लगता. पुराना कोर्ट में कन्हैया साव वर्ष 1989 से सत्तू शरबत की दुकान लगा रहे हैं. वे बताते हैं कि सर्दी में उनकी दुकान से जहां एक से डेढ़ किलोग्राम सत्तू घोरा जाता है, वहीं गर्मी में पांच से सात किलोग्राम सत्तू घोर लेते हैं. कोर्ट से बाहर निकलें, तो सड़क किनारे सत्तू शरबत की मांग और बढ़ जाती है. यहां विनय कुमार दुकान लगाते हैं. वे बताते हैं कि गर्मी में उनकी दुकान से दो बोरा यानी 60 किलोग्राम सत्तू की बिक्री हो जाती है. यानी प्रति दिन 500 से 800 गिलास सत्तू शरबत का इस्तेमाल आराम से हो जाता है. वे लोग सत्तू शरबत में बारीक कटा प्याज, बारीक कटा धनिया पत्ता, भुनी मूंगफली, बारीक कटी हरी मिर्च, नींबू, जीरा पाउडर आदि इस्तेमाल करते हैं.

सात अनाज के आटे का मिश्रण है सत्तू

सत्तू सात अनाज के आटे से मिलकर बनता है. यह मिलावट नहीं, बल्कि अलग-अलग अनाज के आटे स्वास्थ्य के लिए उत्तम होते हैं. दुकानदार सत्यनारायण अग्रवाल बताते हैं कि कई लोग मिला हुआ सत्तू ले जाते हैं. ग्राहक बोलते हैं कि चने के सत्तू में जौ का सत्तू भी मिला दीजिए. कई लोग अलग-अलग अनाज का सत्तू लेकर उसे घर में मिलाकर तैयार कर लेते हैं. सत्यनारायण बताते हैं कि सत्तू में चना, जौ, मक्का, ज्वार, बाजरा और कई लोग जनेरा व मड़ुआ भी मिलाकर इसे तैयार करते हैं.

कच्चा व पकाकर कर सकते हैं उपयोग

एक तो सत्तू शरबत के रूप में इस्तेमाल होता है. इसमें नमक के साथ अलग-अलग मसाले और नींबू इस्तेमाल में लाये जाते हैं. वहीं, अधिकतर बच्चे चीनी के साथ इसका इस्तेमाल करते हैं. पानी की जगह सेहत के दृष्टिकोण से कई लोग इसमें दूध का इस्तेमाल भी करते हैं. दूध में चना सत्तू घोलकर उसमें स्वादानुसार चीनी और कुछ ड्राइफ्रूट मिलाकर इसे इस्तेमाल में लाया जाता है. शरबत के अलावा सत्तू सानकर ठोस रूप भी इस्तेमाल में लाया जाता है. इसे नमक, मिर्च, अचार आदि के साथ खाया जाता है. इसी प्रकार सत्तू पराठा बनाया जाता है. सत्तू से लिट्टी बनती है.

रेडी टू ड्रिंक

सत्तू के फायदे और मांग का भान बाजार को भी है. वर्तमान में बाजार में सत्तू रेडी टू ड्रिंक के रूप में उपलब्ध है. रेडी टू ड्रिंक ब्रांड के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ नमित चंद्र सिंह बताते हैं कि इस समय चार फ्लेवर में सत्तू उपलब्ध है, पीनट मसाला, लेमन जिंजर, जीरा मसाला और ऑल इन वन फ्लेवर. यह खोलो, काटो और पी लो की तरह है. सत्तू में फ्लेवर के अनुसार, सभी मसाले और नमक मिले हुए हैं. इसे केवल पानी में मिलाकर पी लेना है. यह 100 ग्राम, 200 ग्राम और आधा किलोग्राम पैकेट में उपलब्ध है. 100 ग्राम के पैकेट से दो गिलास तक सत्तू शरबत बन सकता है. इतना ही नहीं, बाजार को बच्चों का भी ध्यान है. इसलिए सत्तू को नमकीन के साथ-साथ मीठे स्वाद में भी उतारा गया है. मीठे में मैंगो, ऑरेंज और बनाना व चॉकलेट फ्लेवर में है. इस प्रकार सत्तू अब आम से लेकर खास लोगों की पहुंच में आ गया है. मसालेदार 100 ग्राम सत्तू 30 रुपये, 200 ग्राम सत्तू 60 रुपये और आधा किलोग्राम पैकेट की कीमत 150 रुपये है.

स्वास्थ्य का खजाना

सत्तू काे स्वास्थ्य का खजाना माना गया है. डायटीशियन डॉ प्रीति सिंह बताती हैं कि चने के सत्तू में प्रचूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो शरीर में उत्तकों की वृद्धि में सहायक है. यह उत्तकों को रिपेयर भी करता है. सत्तू में अधिक मात्रा में फाइवर (रफेज) रहता है, जो भोजन को पचाने में मदद करता है. साथ ही पेट को साफ भी करता है. चने के सत्तू में मिनरल जैसे कैल्सियम, मैग्नीशियम, आयरन और पोटैशियम पाया जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और प्रेशर को भी कंट्रोल में रखते हैं. यह डायबेटिक पेशेंट के लिए बहुत अच्छा फूड है. साथ ही सत्तू कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी ठीक रखता है.

मक्का-जौ आटा भी स्वास्थ्य के लिए वरदानडायटीशियन डॉ प्रीति सिंह बताती हैं कि चने के सत्तू में मक्के का आटा भी मिलाया जाता है. मक्के के आटे में भी फाइवर, विटामिन और मीनरल्स पाये जाते हैं. मक्के आटा ग्लूटेन फ्री होता है. सिलिएक डिजीज के लिए भी मक्के का आटा अच्छा माना जाता है. जौ सत्तू भोजन को पचाने में मदद करता है. वेट को मेनटेन रखता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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