Jamshedpur news.
भुवनेश्वर में कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की दो दिवसीय राष्ट्रीय गवर्निंग काउंसिल की बैठक सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि पहलगाम की घटना के बाद हिंदुस्तान के 26 राज्यों के व्यापारी-कारोबारी पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का व्यापार नहीं करेंगे. बैठक में 26 राज्यों के 200 से अधिक व्यापारी नेताओं ने हिस्सा लिया. इसमें क्विक कॉमर्स एवं ई- कॉमर्स कंपनियों की मनमानी के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने तथा इन पर 28 प्रतिशत जीएसटी टैक्स लगाने की भी मांग सरकार और जीएसटी काउंसिल से की. कैट की बैठक में राष्ट्रीय महामंत्री सह दिल्ली के सांसद प्रवीण खंडेलवाल, राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री सुरेश सोंथालिया, चेयरमैन बृजमोहन अग्रवाल के अलावा राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य भरत वसानी, किशोर गोलेछा, सावरमल शर्मा और बिट्ठल अग्रवाल शामिल हुए. राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री सुरेश सोंथालिया कहा कि कैट की बैठक में सभी व्यापारी नेताओं ने एक स्वर से पहलगाम में आतंकी घटना की कड़ी निंदा करते हुए पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों का पूर्ण बहिष्कार करने का आह्वान किया. प्रस्ताव में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या के विरोध में व्यापारिक समुदाय ने पाकिस्तान के साथ सभी प्रकार के आयात-निर्यात को तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया. व्यापारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध उठाये गये कदमों का समर्थन किया. श्री सोंथालिया ने बताया कि 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के बाद 2024 में 1.2 बिलियन डॉलर ही रह गया है. अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक के बीच भारत ने पाकिस्तान को लगभग 500 मिलियन डॉलर के उत्पादों का निर्यात किया. पाकिस्तान से भारत का आयात मात्र 0.42 मिलियन डॉलर रहा. अब पूरी तरह समाप्त होगा. पाकिस्तान से व्यापार न करने के निर्णय से संभव है कि कुछ निर्यातकों का व्यापार अल्पकाल के लिए प्रभावित हो सकता है, किंतु पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक शत्रु देश के साथ या उसके माध्यम से व्यापार करना कतई उचित नहीं है. व्यापारी नेताओं ने कहा कि देश की एकता, अखंडता एवं सुरक्षा के लिए भारत के व्यापारी किसी भी आर्थिक नुकसान को उठाने कीमत चुकाने को तैयार है. श्री सोंथालिया ने कहा कि राष्ट्रीय गवर्निंग काउंसिल की बैठक प्रस्ताव में ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियों पर शिकंजा कसने का मांग करते हुए 28 प्रतिशत जीएसटी लागू करने की मांग की गयी. जीएसटी प्रणाली की वर्तमान खामियों को पुनरीक्षण और सरलीकरण किया जाना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है