जामताड़ा. झारखण्ड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष डीडी भंडारी ने बताया कि झारखंड गठन के बाद से पिछले 25 वर्षों से षडयंत्र के तहत सत्ता और शासन द्वारा प्रदेश के एक करोड़ तीस लाख बांग्लाभाषियों के अस्तित्व को मिटाए जाने और हाल में बांग्लाभाषी विरोधी दो महत्वपूर्ण घटनाक्रम के आलोक में प्रदेश का बांग्लाभाषी समाज क्षुब्ध है. अब समिति प्रदेश स्तर पर आंदोलन की तैयारी कर रही है. शिक्षा मंत्री की ओर से समिति के शिष्टमंडल को बांग्ला भाषा में पठन पाठन प्रारंभ करने के लिए अभ्यावेदन समर्पित करने के दौरान दिया गया बयान, “पहले छात्र लाइए फिर पुस्तक देंगे ” से प्रदेश के बांग्लाभाषी समाज में काफी रोष है. समाज द्वारा इसकी घोर निन्दा की गयी है. कहा कि सम्प्रति प्रदेश सरकार द्वारा रांची स्थित डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के नाम परिवर्तन का भी निर्णय लिया गया है, जिसका कड़े शब्दों में विरोध करता हुं. कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक प्रखर राष्ट्रवादी महापुरुष, शिक्षाविद्, चिंतक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं सर्वोपरि स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण मंत्री थे. उनके नाम से संचालित विश्वविद्यालय से उनके नाम को विलोपित किया जाना सर्वथा अस्वीकार्य है और बांग्लाभाषी समाज का अपमान है. प्रदेश का बांग्लाभाषी समाज झारखंड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति के बैनर तले अब प्रदेश स्तर पर आन्दोलन की तैयारी कर रहा है. 14 मई को प्रदेश के सभी उपायुक्तों के माध्यम से मुख्यमंत्री को विरोध पत्र समर्पित किया जाएगा. 19 मई, सिलचर, असम के भाषा शहीद दिवस के अवसर पर धनबाद के रणधीर वर्मा चौक से प्रदेश स्तरीय बांग्ला भाषा जनजागरण अभियान का शुभारंभ किया जाएगा. इसे प्रत्येक पंचायत स्तर तक पहुंचाया जाएगा. समिति की ओर से बताया गया कि जमशेदपुर में आयोजित होने वाले राज्यधिवेशन में प्रदेश के सभी जिलों एवं सभी संगठनों द्वारा आगे के आन्दोलन की रणनीति बनायी जाएगी. प्रदेश के बांग्लाभाषी अब किसी भी कीमत पर अपना अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे. श्री भंडारी ने प्रदेश के सभी बांग्लाभाषियों से अपनी मातृभाषा एवं संस्कृति की रक्षार्थ आपसी भेदभाव भुलाकर एकजुट होकर आंदोलन में शामिल होने का अनुरोध किया गया है.
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