प्रतिनिधि, खूंटी.
महर्षि मेंहीं आश्रम मलियादा और शबरी कुटिया शांतिपुरी मुरहू में सावन के उपलक्ष्य में विशेष सत्संग हो रहा है. मलियादा आश्रम में रविवार को ऋषिकेश आश्रम के स्वामी गंगाधर जी महाराज ने प्रवचन दिया. कहा कि माता-पिता, सास-ससुर और बड़े-बुजुर्गाे का सम्मान करना भक्ति का पहला चरण है. भगवान श्री राम अपने सभी श्रेष्ठ जनों का सम्मान करते थे. ईश्वर हमारा जन्मदाता है. जिनको भूल जाने से पाप लगता है. ईश्वर भक्ति करने से बुद्धि उत्तम हो जाती है. तृष्णा की भूख मिटती है. जहां सुमति होती है, वहां अनेक संपती होगी. उन्होंने सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के उद्धरण में एक कहानी का उल्लेख करते हुए माता-पिता की सेवा करने के लिए प्रेरित किया. स्वामी डॉ निर्मलानंद जी महाराज ने कहा कि गुरु जीवन के सारे दोष का त्याग करवा देते हैं और धार्मिक आध्यात्मिक ज्ञान से भर देते है. भटकाव समाप्त हो जाता है और सुख-शांति मिलती है. स्वामी लक्ष्मण जी महाराज और स्वामी वैष्णवानंदजी महाराज ने ईश्वर भक्ति और गुरु भक्ति को जीवन में अनिवार्य बताया. लोदरो बाबा, मुरलीधर बाबा, दिगंबर बाबा ने भी भक्ति मार्ग को ही मनुष्य योनि की सार्थकता बतायी. मौके पर डॉ डीएन तिवारी, डॉ संजय कुमार, रामहरि साव, मूचीराय मुंडा, मंगल मुंडा, सुरेश पंडित, चमरा मुंडा, सुबोध कुमार, हरिद्वार ठाकुर आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है