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ज्योतिष शास्त्र को वोकेशनल कोर्स के रूप में शुरू करने पर विचार

ज्योतिष शास्त्र को वोकेशनल कोर्स के रूप में शुरू करने पर विचार

लातेहार ़ जिला मुख्यालय स्थित सरस्वती विद्या मंदिर के वंदना सभा में बुधवार को अतिथि व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसका शुभारंभ ज्योतिष गुरु सह नक्षत्र वाचस्पति के मानद उपाधि प्राप्त डॉ रजनीकांत पाठक तथा विद्यालय के प्रधानाचार्य उत्तम कुमार मुखर्जी ने संयुक्त रुप से मां सरस्वती की तसवीर पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्वलन कर किया. अतिथि व्याख्यान के पहले चरण में ज्योतिष गुरु ने विद्यालय के भैया-बहनों को बताया कि केंद्र सरकार भारतीय ज्ञान प्रणाली के तहत ज्योतिष शास्त्र को वोकेशनल कोर्स के रूप में शुरू करने पर विचार कर रही है. इसका उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ना और छात्र-छात्राओं को ज्योतिषीय अवधारणाओं और प्रथाओं की व्यापक समझ प्रदान करना है. यह कोर्स पारंपरिक भारतीय मूल्यों को ध्यान में रखते हुए कौशल विकास के लिए शुरू किया जा रहा है. इसके पूर्व विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री मुखर्जी ने अतिथि डॉ पाठक को उत्सर्ग पत्रिका एवं शॉल भेट कर सम्मानित किया. प्रधानाचार्य ने बताया कि ज्योतिष का अभ्यास करने के लिए कोई औपचारिक योग्यता अनिवार्य नहीं है, लेकिन कुछ संस्थानों में प्रवेश परीक्षा और योग्यता मानदंड निर्धारित है. ज्योति शास्त्र की वोकेशनल कोर्स शुरू करने का उद्देश्य इस शास्त्र के प्रति रुचि जगाना और भविष्य में इसे शास्त्र के रूप में अपनाने पर बल दिया जाना है. इस कार्यक्रम में नवम और दशम के भैया-बहन, आचार्यों ने भाग लिया और ज्योतिष शास्त्र से जुड़े अंधविश्वास और विश्वास की परिभाषा के आधार पर ज्योतिष शास्त्र के नियमों को जाना.

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