लातेहार ़ जिला समाहरणालय में छिपादोहर को प्रखंड बनाने को लेकर उपायुक्त को एक आवेदन सौंपा गया. छिपादोहर प्रखंड निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष देवनाथ सिंह खरवार ने कहा कि झारखंड राज्य गठन के 24 वर्षों के बाद भी छिपादोहर को प्रखंड सह अंचल का दर्जा नहीं मिल पाने से आदिवासी समुदाय में गहरी नाराजगी है. उन्होंने कहा है कि केड़, कुचिला, चुंगरू, हरातु, लात और छिपादोहर इन छह पंचायतों को मिलाकर छिपादोहर को नया प्रखंड बनाये जाने की मांग वर्ष 2000 से लगातार की जा रही है. लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हो सका है. यह क्षेत्र अत्यंत दुर्गम पहाड़ी इलाका है. जहां आज भी लोग सड़क, बिजली, शिक्षा, पेयजल, स्वास्थ्य एवं कृषि सुविधा से वंचित हैं. ग्रामीणों को जंगलों से लकड़ी, कंद-मूल, पत्ता बेचकर जीवनयापन करना पड़ता है. जबकि युवा वर्ग रोजगार की तलाश में पलायन को मजबूर हैं. यह इलाका माओवादी प्रभाव से भी ग्रस्त है. लात पंचायत, बूढ़ा पहाड़, रानीदह झील जैसे स्थलों को माओवादी प्रशिक्षण केंद्र के रूप में जाना जाता है. यह क्षेत्र एक्शन प्लान-01 और 02 के अंतर्गत भी आता है. छिपादोहर क्षेत्र में लगभग 34 गांव शामिल हैं और अधिकांश आबादी आदिवासी है. ग्रामीणों ने बताया कि प्रखंड निर्माण के लिए चार-पांच एकड़ सरकारी भूमि उपलब्ध है. ग्रामीण देवनाथ सिंह व धनेश्वर सिंह समेत अन्य ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि सरयू प्रखंड की तर्ज पर छिपादोहर को भी शीघ्र नया प्रखंड सह अंचल का दर्जा दिया जाये.
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