लातेहार. जिला मुख्यालय के धर्मपुर रोड अवस्थित सरस्वती विद्या मंदिर में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जन्म जयंती मनायी गयी. कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य ओंकारनाथ सहाय ने दीप प्रज्जवलित कर व पुष्पांजलि अर्पित कर किया. उन्होंने भगवान महावीर की शिक्षा को अपने जीवन में अपनाने पर जोर दिया. उनके उपदेशों को आत्मसात करने की बात कही. आचार्य कपिलदेव प्रमाणिक ने कहा कि भगवान महावीर जैन धर्म के अंतिम आध्यात्मिक तीर्थकर थे. भगवान महावीर का जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व में बिहार में हुआ था. भगवान महावीर की माता का नाम रानी त्रिशला और पिता का नाम राजा सिद्धार्थ था. 30 वर्ष की आयु में उन्होंने सब कुछ छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग अपनाया था. उन्होंने दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया. तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया. उन्होंने जैन धर्म की पांच प्रमुख शिक्षाओं अहिंसा, सत्य, असत्य, ब्रह्मचर्य व अपरिग्रह को समझाने का प्रयास किया और उनके उपदेशों को आत्मसात करने की बात छात्रों से की. मौके पर काफी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.
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