बेतला़ सरईडीह शिव मंदिर के स्थापना दिवस समारोह पर आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन प्रद्युम्न शरण जी महाराज ने कहा कि जगत के कल्याण के लिए राजा दशरथ ने राम और लक्ष्मण को ऋषि विश्वामित्र को सौंप दिया था. विश्वामित्र जी ने उनसे यज्ञ की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को मांगा था और दशरथ जी ने गुरु वशिष्ठ की सलाह पर राम और लक्ष्मण को विश्वामित्र को सौंपने के लिए सहमत हो गये. हालांकि, राजा दशरथ इस बात से चिंतित थे कि उनके कोमल राजकुमार राक्षसों से कैसे निपटेंगे, लेकिन विश्वामित्र ने उन्हें समझाया कि राम और लक्ष्मण में महान क्षमताएं हैं और वे राक्षसों को हराने में सक्षम होंगे. उन्होंने कहा कि आज के माता-पिता को भी बड़े होने के बाद अपने पुत्रों को किसी महान गुरु के सानिध्य में छोड़ देना चाहिए. बेटा तभी इंजीनियर, डॉक्टर, आइपीएस, आइएफएस या आइएएस बन सकता है. यदि पुत्र को मुंह में बांधकर अपने इर्द-गिर्द रखना चाहेंगे तो उनका पुत्र सफल नहीं हो सकेगा. माता-पिता को अपने पुत्र की क्षमता को पहचानने की जरूरत है. भगवान ने सभी बच्चों में विलक्षण क्षमताएं दी है. कौन बच्चा कल क्या करेगा किसी को मालूम नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम ने इस पृथ्वी पर अवतार लेकर अपना जो चरित्र प्रस्तुत किया है उसे अपना कर ही मानव जीवन सफल हो सकता है. भगवान श्रीराम का पूरा जीवन ही आदर्श है जिसे सभी सनातनी को अपने जीवन में उतरना चाहिए. उन्होंने कहा कि दो बार राम-राम कहने से ही 108 बार राम के जाप करने की फल प्राप्ति होती है. इसलिए किसी को अभिवादन में राम-राम बोलकर यह पुण्य को हासिल किया जा सकता है. कार्यक्रम का संचालन आचार्य धर्मेंद्र मिश्रा ने किया. मौके पर संरक्षक अमरेश प्रसाद गुप्ता, उमेश प्रसाद, ओमप्रकाश गुप्ता, जोखन प्रसाद व नवल प्रसाद सहित कई लोग मौजूद थे.
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