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पुनरुद्धार की आस में सिसकती चेरो राजाओं की धरोहर

बेतला नेशनल पार्क की परिधि में स्थित करीब 200 वर्षों तक शासन करनेवाले चेरो राजवंश की आखिरी निशानी पलामू किला के जीर्णोद्धार को लेकर कवायद शुरू हो गयी है.

बेतला. पलामू प्रमंडल के बेतला नेशनल पार्क की परिधि में स्थित करीब 200 वर्षों तक शासन करनेवाले चेरो राजवंश की आखिरी निशानी पलामू किला के जीर्णोद्धार को लेकर कवायद शुरू हो गयी है. करीब 400 वर्ष पहले निर्मित यह किला बेतला के जंगलों में खामोश खड़े होकर उस मसीहा का इंतजार कर रहा है जो इसके वजूद को मिटाने से बचा सके. कभी यह किला अपनी भव्यता के कारण मुगल सल्तनत और फिर बाद में अंग्रेजी हुकूमत के निशाने पर रहा. किले को लूटने के साथ उसके अस्तित्व को मिटाने के लिए के लिए तोप गोलों से भी हमला किया गया. पहले मुगल सल्तनत के सूबेदार के द्वारा इसे मिटाने का हर संभव प्रयास किया गया तो बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने भी रही सही कसर को मिटा दिया. 1947 में जब देश आजाद हुआ तो तत्कालीन एकीकृत बिहार को खंडहर के रूप में ही पलामू किला मिला. आजादी के बाद किसी भी सरकार के द्वारा इसके संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. दिनों दिन इसकी स्थिति बिगड़ती रही. इसके बाद यह किला 1972 में जब पलामू टाइगर रिजर्व की स्थापना हुई, तो पूरी तरह से वन विभाग के कब्जे में चला गया. अब पलामू टाइगर रिजर्व के कब्जे में आ जाने के बाद इसके रख-रखाव की जिम्मेवारी वन विभाग के पदाधिकारियों के जिम्मे में हो गयी. लेकिन इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया गया. किला खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. 1995 के बाद नक्सलियों का दबदबा हो गया. इस कारण यह किला पूरी तरह से उनके कब्जे में रहने लगा. ऐसे में स्थिति और बिगड़ती चली गयी. करीब 20 वर्ष पहले 2005 में भी पलामू किला का जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया गया था. तत्कालीन विधायक रामचंद्र सिंह और उपायुक्त केके सोन के प्रयास से काम शुरू तो किया गया, लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व के प्रशासनिक पदाधिकारियों ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी. इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया. फिर 17 वर्षो के बाद 2022 में विधायक रामचंद्र सिंह और तत्कालीन लातेहार उपायुक्त अबु इमरान की पहल पर पुरातात्विक विभाग की ओर से सर्वेक्षण कराया गया. सर्वे रिपोर्ट को सरकार के सुपुर्द कर दिया गया, लेकिन मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया. हालांकि विधायक रामचंद्र सिंह के द्वारा मामले को लेकर बार-बार विधानसभा सत्र में मामला को उठाया गया. अब पुनः एक बार फिर से पलामू मिला के जीर्णोद्धार करने की बात कही जा रही है. वहीं राज्य के वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने भी किले को मरम्मत कराने का आश्वासन दिया है

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