प्रतिनिधि, पाकुड़. हिम्मत, एकजुटता और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश करते हुए हिरानंदनपुर पंचायत के पीरतल्ला गांव के ग्रामीणों ने वो कर दिखाया, जो जनप्रतिनिधियों और सरकार से लंबे समय से अपेक्षित था. जब बार-बार गुहार के बाद भी पीरतल्ला मस्जिद से रबीउल शेख के घर होते हुए मैना शेख के घर तक की सड़क निर्माण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया, तो ग्रामीणों ने खुद ही चंदा इकट्ठा कर सड़क बनाने का संकल्प लिया. वर्तमान में यह रास्ता कच्चा है और बरसात में कीचड़ व फिसलन से यह जानलेवा हो जाता है. यह गांव का मुख्य मार्ग है, जिससे रोज़ाना लोगों का आना-जाना होता है. बीमारों को अस्पताल ले जाने से लेकर शोक के समय अंतिम यात्रा तक इसी रास्ते से गुजरना पड़ता है, और इसी दौरान कई बार लोग चोटिल भी हो चुके हैं. ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगाई, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात. आखिरकार ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने अपने स्तर पर समाधान की ठानी. चंदा इकट्ठा कर डस्ट गिराया गया, ताकि कम से कम रास्ता चलने लायक बन सके. ग्रामीणों ने यह साफ कर दिया कि अब सिर्फ चुनावी वादों से पेट नहीं भरने वाला अगर नेताओं को उनकी ज़िम्मेदारी याद नहीं, तो जनता खुद ही अपनी राह बना लेगी. गांव के लोगों की यह एकजुटता और आत्मनिर्भरता न केवल सरकार और जनप्रतिनिधियों के लिए एक आईना है, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा भी. मौके पर उमर अब्दुल्ला, पप्पू शेख, कयूम शेख, तरबेज शेख, मुर्तजा अली, मिठू शेख, सनी रविदास समेत कई ग्रामीण उपस्थित थे. वहीं, पंचायत के मुखिया निपू सरदार का कहना है कि फंड की कमी के कारण सड़क नहीं बन पाई है, लेकिन जैसे ही फंड मिलेगा, निर्माण कार्य कराया जाएगा. अब देखना यह है कि सरकार कब तक ग्रामीणों की यह अनसुनी पुकार सुनती है — या फिर यह भी एक और ‘विकास की प्रतीक्षा में बैठा गांव’ बनकर रह जायेगा.
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