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Ramgarh News: रेलवे ट्रैक पर हुआ हाथी का जन्म, दो घंटे रुकी रही रेलगाड़ी, लोगों ने पहली बार देखा अनोखा दृश्य

Ramgarh News: एक हथिनी को प्रसव कराने के लिये दो घंटे तक रेलगाड़ी को रोका गया. रेलगाड़ी रोकने से हथिनी और उसका नवजात शिशु रेलगाड़ी की चपेट में आने से बच गये.इधर वन विभाग के लोगों ने पहली बार ऐसा दृश्य देखा. जन्म लेने के थोड़ी देर बाद ही नन्हा हाथी अपनी मां के साथ जंगल में चला गया.

Ramgarh News | रामगढ़, सलाउद्दीन: रामगढ़ वन प्रमंडल क्षेत्र में एक हथिनी को प्रसव कराने के लिये दो घंटे तक रेलगाड़ी को रोका गया. रेलगाड़ी रोकने से हथिनी और उसका नवजात शिशु रेलगाड़ी की चपेट में आने से बच गये. प्रसव के बाद हथिनी और उसका बच्चा सुरक्षित रास्ते से 10 किलोमीटर तक चल कर हाथी कॉरिडोर जंगल में पहुंच गये. इधर वन विभाग के लोगों ने पहली बार ऐसा दृश्य देखा. जन्म लेने के थोड़ी देर बाद ही नन्हा हाथी अपनी मां के साथ जंगल में चला गया. इसके बाद रेल परिचालान फिर से शुरू हुआ.

15 दिनों पहले आया था हाथियों का झुंड

यह घटना रामगढ़ वन प्रमंडल के सरवाहा चरही गांव के पास की है. जानकारी के अनुसार करीब 15 दिनों पहले हाथियों का झुंड बोकारो, बसंतपुर, चींची कला, करगी गांव होते हुए सरवाहा क्षेत्र में पहुंचा था. उसी समय एक हथिनी अपने झुंड से बिछड़ कर हजारीबाग-बरकाकाना रेलवे लाइन सरवाहा गांव के पास पहुंच गयी थी. रेलवे लाइन के पास हथिनी को देखते ही वन वनरक्षी ने रामगढ़ डीएफओ नितिश कुमार को इसकी सूचना दी. इसके बाद डीएफओ ने तत्काल हजारीबाग से बरकाकाना जाने वाले मालगाड़ी को दो घंटे के लिए रुकवा दिया.

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बीते 3 सालों में हाथियों के हमले से 10 लोगों की मौत

रामगढ़ वन प्रमंडल में हाथियों ने खूब उत्पाद मचाया है. आंकड़ों के अनुसार बीते 3 सालों में 10 लोगों की मौत हाथी के हमले से हुई है.जबकि 23 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. वन विभाग ने इन मृतकों के आश्रितों को 41 लाख और घायलों को 12 लाख 11 हजार रुपये का मुआवजा दिया है. इसके अलावा कुल 1623 मामले फसल, मकान और पशुओं को नुकसान पहुंचाने का है. वन विभाग ने बीते तीन सालों में 77 लाख 7 हजार 700 रुपये मुआवजा दिया गया.

रामगढ़ में हाथियों के प्रवेश के लिये दो कॉरिडोर

रामगढ़ जिले में हाथियों के प्रवेश के लिये दो कॉरिडोर हे. पहला बोकारो जिले से हाथियों का झुंड बसंतपुर, चींची कला, करगी से एनएच 33 सरवाहा होते हुए बड़कागांव हजारीबाग की ओर आते-जाते हैं. दूसरा कॉरिडोर सिल्ली से गोला प्रखंड में प्रवेश करने के लिए है. सरगडीह से ऊपर बरगा क्षेत्र होते हुए औराडीह, संग्रामडीह, चेपादारू से सुतरी रकुआ होते हुए रजरप्पा तक जाते है. हाथियों का झुंड भटकने पर रजरप्पा नदी पार करके पेटरवार महुआ टांड तक जाते हैं. गोला प्रखंड के गांव व जंगलों में साल के 8 महीने तक हाथियों के झुंड का विचरण होता है.

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Dipali Kumari
Dipali Kumari
नमस्कार! मैं दीपाली कुमारी, एक समर्पित पत्रकार हूं और पिछले 3 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यरत हूं, जहां झारखंड राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक और जन सरोकार के मुद्दों पर आधारित खबरें लिखती हूं. इससे पूर्व दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट सहित अन्य प्रतिष्ठित समाचार माध्यमों के साथ भी कार्य करने का अनुभव है.

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