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भोगनाडीह गांव से सिदो-कान्हू की अगुवाई में आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ ऐतिहासिक विद्रोह का बिगुल फूंका था : विधायक धनंजय सोरेन

हमारी माटी छोड़ो का नारा देते हुए विदेशी शासन को चुनौती दी

मंडरो. हूल दिवस पर सोमवार को मिर्जाचौकी के निमगाछी चौक स्थित सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नेताओं ने माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित करते हुए महान क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर बोरियो विधायक धनंजय सोरेन, झामुमो जिला अध्यक्ष अरुण सिंह, केंद्रीय समिति सदस्य व मंडरो प्रखंड सचिव बबलू मिश्रा सहित कई नेताओं ने आदिवासी वीरों के बलिदान को याद किया. विधायक धनंजय सोरेन ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हुल शब्द का संथाली अर्थ विद्रोह होता है. 30 जून 1855 को साहिबगंज के भोगनाडीह गांव से सिदो-कान्हू की अगुवाई में आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ ऐतिहासिक विद्रोह का बिगुल फूंका था. इस विद्रोह में 400 से अधिक गांवों के 50,000 से भी ज्यादा लोगों ने भाग लिया और हमारी माटी छोड़ो का नारा देते हुए विदेशी शासन को चुनौती दी. विधायक सोरेन ने कहा कि आज हमारा आदिवासी समाज इन्हीं बलिदानों के कारण आजादी और आत्मसम्मान के साथ जी रहा है. यही कारण है कि हम हर वर्ष 30 जून को हुल दिवस मनाकर इन वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देते हैं. इस मौके पर मंडरो प्रखंड से बबलू मिश्रा, सुबोध सोरेन, संजू सोरेन, प्रेम सोरेन, बाबुचंद सोरेन, मनोज सोरेन, बिरेंद्र साह, राजीव जयसवाल, संटी मिश्रा, राजेश राम, हीरा यादव, नय्यर अंसारी, जेम्स किस्कू समेत दर्जनों झामुमो कार्यकर्ता उपस्थित रहे. कार्यक्रम में शामिल सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भोगनाडीह पहुंचकर मुख्य समारोह में भाग लिया और सांसद व विधायक के संदेश को सुना.

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