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मंथन संस्था ने साल भर में बाल तस्करी/बाल मजदूरी से मुक्त कराये 123 बच्चे,

बाल श्रम मुक्त जिला बनाने के लिए शुरू हो राष्ट्रीय मिशन

साहिबगंज.बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी संगठन मंथन जिले में बाल श्रम के खिलाफ अभियान चला रहा है. इसने बाल मजदूरी के खात्मे के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन मिशन शुरू करने और इसके लिए पर्याप्त संसाधनों के आवंटन की मांग की है. साथ ही कहा कि 18 साल तक के बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा और पीड़ित बच्चों के पुनर्वास के लिए बाल मजदूर पुनर्वास कोष बनाया जाए. मंथन संस्था के समन्वयक अमन वर्मा ने कहा कि पिछले एक साल में जिला प्रशासन के सहयोग से जिले में बाल तस्करी/बाल श्रम के खिलाफ छापामारी अभियान चलाए और इस दौरान 123 बच्चों को मुक्त कराया. बाल मजदूरी के खिलाफ लोगों को जागरूक किया गया. बाल मजदूरी के पूरी तरह खात्मे के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन मिशन और जिलास्तरीय चाइल्ड लेबर टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है. जेआरसी के 250 से भी ज्यादा सहयोगी संगठन देश के 418 जिलों में जमीन पर बाल श्रम, बाल विवाह, बाल यौन शोषण और बच्चों की ट्रैफिकिंग के खिलाफ काम कर रहे हैं. जेआरसी ने बच्चों की सुरक्षा के लिए कानूनी हस्तक्षेप कार्यक्रम ‘न्याय तक पहुंच’ के जरिए पिछले दो वर्षों में 85,000 से ज्यादा बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया है और 54,000 से ज्यादा मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की. मंथन के निदेशक बिप्लव महतो ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि बाल श्रम के खात्मे की दिशा में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है और इसका श्रेय राज्य सरकार और जिला प्रशासन की सतर्कता और संवेदनशीलता को जाता है. हमने जिले में अब तक 123 कुल बाल तस्करी/बाल मजदूरों को मुक्त कराया है और उनके पुनर्वास की दिशा में भी प्रयास किए हैं. उन्होंने कहा कि पीड़ितों के पुनर्वास और अपराधियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई से ही बाल मजदूरी पर रोक लग पाएगी और भारत इस दिशा में आगे बढ़ रहा है. बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी संगठन मंथन जिले में बाल श्रम के खिलाफ अभियान चला रहा है. इसने बाल मजदूरी के खात्मे के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन मिशन शुरू करने और इसके लिए पर्याप्त संसाधनों के आवंटन की मांग की है. साथ ही कहा कि 18 साल तक के बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा और पीड़ित बच्चों के पुनर्वास के लिए बाल मजदूर पुनर्वास कोष बनाया जाए. मंथन संस्था के समन्वयक अमन वर्मा ने कहा कि पिछले एक साल में जिला प्रशासन के सहयोग से जिले में बाल तस्करी/बाल श्रम के खिलाफ छापामारी अभियान चलाए और इस दौरान 123 बच्चों को मुक्त कराया. बाल मजदूरी के खिलाफ लोगों को जागरूक किया गया. बाल मजदूरी के पूरी तरह खात्मे के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन मिशन और जिलास्तरीय चाइल्ड लेबर टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है. जेआरसी के 250 से भी ज्यादा सहयोगी संगठन देश के 418 जिलों में जमीन पर बाल श्रम, बाल विवाह, बाल यौन शोषण और बच्चों की ट्रैफिकिंग के खिलाफ काम कर रहे हैं. जेआरसी ने बच्चों की सुरक्षा के लिए कानूनी हस्तक्षेप कार्यक्रम ‘न्याय तक पहुंच’ के जरिए पिछले दो वर्षों में 85,000 से ज्यादा बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया है और 54,000 से ज्यादा मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की. मंथन के निदेशक बिप्लव महतो ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि बाल श्रम के खात्मे की दिशा में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है और इसका श्रेय राज्य सरकार और जिला प्रशासन की सतर्कता और संवेदनशीलता को जाता है. हमने जिले में अब तक 123 कुल बाल तस्करी/बाल मजदूरों को मुक्त कराया है और उनके पुनर्वास की दिशा में भी प्रयास किए हैं. उन्होंने कहा कि पीड़ितों के पुनर्वास और अपराधियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई से ही बाल मजदूरी पर रोक लग पाएगी और भारत इस दिशा में आगे बढ़ रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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